अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता
अस बार दीन जानकी माता.
हनुमान चालीसा की ये पंक्तियाँ तो आपने पढ़ी होंगी.
क्या आप जानते है इन पंक्तियों में जिन अष्ट सिद्धियों और नौ निधियों की बात हो रही है वो क्या होती है?
अष्ट सिद्धि और नौ निधि किस प्रकार हनुमान को प्राप्त हुई?
इन सब सवालों के जवाब छुपे है रामायण में. हिन्दू धर्म के अनुसार हनुमान रुद्रावतार थे. राम को विष्णु और सीता को लक्ष्मी तथा लक्ष्मण को शेषनाग का अवतार माना जाता है.
हनुमान, श्री राम के भक्त थे. सीता ने हनुमान की भक्ति देख कर उन्हें वरदान दिया कि वो आठ सिद्धियों और नौ निधियों के स्वामी होंगे. अपने भक्त से प्रसन्न होकर हनुमान ये सिद्धियाँ भक्त को भी प्रदान कर सकते है.
येही वो शक्तियां थी जिनकी मदद से हनुमान जी ने सागर लांघा. लंका को तहस नहस किया और संजीवनी बूटी लाकर लक्ष्मण के प्राणों की रक्षा की.
आइये देखते है कौन कौन सी है ये अष्ट सिद्धियाँ और इन सिद्धियों का महत्व क्या है.
अणिमा – इससे शरीर को बहुत ही छोटा बनाया जा सकता है।
महिमा – शरीर को बड़ा कर कठिन और दुष्कर कामों को आसानी से पूरा करने की सिद्धि।
लघिमा – इस सिद्धि से शरीर छोटा होने के साथ हल्का भी बनाया जा सकता है।
गरिमा – शरीर का वजन बढ़ा लेने की सिद्धि। अध्यात्म के नजरिए से यह अहंकार से दूर रहने की शक्ति भी मानी जाती है।
प्राप्ति– मनोबल और इच्छाशक्ति से मनचाही चीज पाने की सिद्धि.
प्राकाम्य- कामनाओं को पूरा करने और लक्ष्य पाने की सिद्धि.
वशित्व- वश में करने की सिद्धि.
ईशित्व- इष्ट सिद्धि औरऐश्वर्य सिद्धि.
हनुमान जी की श्रद्धा के साथ भक्ति करने वाले को हनुमान ये सिद्धियाँ प्रदान करते है. इन सिद्धियों की प्राप्ति से मनुष्य देवतुल्य हो जाता है.
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