अंडे का ऑमलेट – अंडा तो आप सभी खाते ही होंगे, वेजीटेरियन लोगों को छोड़कर, लेकिन आप अंडे के बारे में कितना जानते हैं?
मुर्गी अंडा देती है बस इतना ही न? अंडा विदेशों में ज़्यादा मशहूर है और अंडे का ऑमलेट विदेशी डिश ही है, मगर अब तो हमारे देश में भी ये बहुत मशहूर हो चुका है और कुछ लोगो तो रोजाना नाश्ते में ऑमलेट ही खाते हैं.
अंडे का ऑमलेट की एक दिलचस्प बात यह है, ये हर देश में एक अलग रूप ले लेता है, इतना अलग रूप कि हमें उन ऑमलेट को पहचाने में दिक्कत हो सकती है.
चलिए आपको बताते हैं कि अलग-अलग देशों में अंडे का ऑमलेट कैसे बदल जाता है.
अंडे का ऑमलेट
1 – फ्रांसीसी ऑमलेट बाहर से सुनहरा पक जाने के बाद भी भीतर से न केवल नरम रहता है, बल्कि उसमें अंडा पिघलकर मुंह में अपना स्वाद घोलता है और इस ऑमलेट में कटी मिर्च, टमाटर, अदरक, धनिया, प्याज अन्य मसाले नहीं होते.
2 – स्पेन में जो ऑमलेट बनाया जाता है, उसे खुले चिले की ही तरह दोनों तरफ सेंका जाता है. इसमें हाथ खोलकर आलू की कतली शिमला मिर्च और धूप में सूखे टमाटर डाले जाते हैं. यह अवतार फ्रांसीसि अवतार से बिल्कुल अलग है.
3 – चीन और दक्षिण पूर्व एशिया में अंडे से ऑमलेटनुमा ही एक व्यंजन तैयार किया जाता है, जिसे ‘फूंगी’ कहते हैं और मॉरीसिस में जहां बड़ी संख्या में भारतवंशी और चीनी मूल के मिश्रित नस्ल वाले लोग रहते हैं, वहां ऑमलेट को पकाने के बाद उसके टुकड़े काटकर तरीदार शोरबे के रूप में भी दिया जाता है.
अंग्रेजी का मुहावरा है कि बिना अंडे को तोड़े आप ऑमलेट नहीं बना सकते अर्थात मनचाहा कुछ खाना है या पाना है, तो कुछ तो कीमत चुकानी ही पड़ेगी. हम हिन्दुस्तानियों का मानना है कि ऑमलेट का मजा तभी है, जब उसे तबियत से फेंटा गया हो और वह फूलकर कुप्पा हो जाए. कुछ लोग इस काम को साधने के लिए बड़े जतन से अंडे की सफेदी अलग निकालकर फेंटते हैं और जर्दी अलग. बाद में दोनों को मिलाते हैं. मगर हकीकत यह है कि बहुत देर तक अंडा फेंटने से बात नहीं बनती.
फ्राइंगपैन में अंडे का घोल उड़ेलने के पहले ही कुछ देर ठीक से फेंटने की जरूरत है, ज्यादा फेंटने से पुरानी हवा बाहर निकल जाती है. ढाबे या रेहड़ी पर ऑमलेट बनाने वाले कांटे की जगह एक स्प्रिंगदार उपकरण का इस्तेमाल करते हैं, जो प्याले या गिलास में एक या दो अंडे को बखूबी फेंट सकता है.
अंडे का ऑमलेट की एक और अच्छी बात यह है कि इसे ज्यादातर आपकी आंख के सामने तोड़कर बनाया जाता है और इसी कारण इसमें मिलावट या प्रदूषण की संभावना बहुत कम रह जाती है। इसलिए स्कूल की कैन्टीन हो या रेलवे प्लेटफार्म, लोग भूख लगने पर बेहिचक ऑमलेट का ऑडर दे देते हैं।
ऑमलेट के असली शौकीन स्वादानुसार नमक और काली मिर्च छिड़ककर ही इसका आनंद उठाते हैं. ढाबे में कभी-कभार डबल रोटी के स्लाइस को पकाते वक्त ही ऑमलेट के ‘लिफाफे’ में बंदकर देते हैं, मगर तहजीब यह है कि ऑमलेट आप अलग से खाएंगे और टोस्ट अगल से. फाइव स्टार होटलों में ऑमलेट को कुछ इस तरह से परोसा जाता है कि आप पहचान भी नहीं पाएंगे.
बहरहाल एक छोटे से अंडे का ऑमलेट के बारे में इतनी सारी दिलचस्प जानकारी पढ़कर यकीनन आपको मज़ा आया होगा.
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