दो दिलों की जुबान अलग-अलग है, लेकिन आंखे बखूबी एक भाषा समझती हैं.
ये भाषा समझने के लिए किसी ख़ास हुनर की जरुरत नहीं है. सिर्फ होना चाहिए दो दिलों के बीच प्यार.
आईए आज हम जानेंगे देसी और विदेशी कॉम्बीनेशन वाली ईस्ट और वेस्ट लव स्टोरीज के बारे में, जिनके बीच प्यार तो हुआ लेकिन परवान नहीं चढ़ पाया.
राजकपूर और केस्निया (मेरा नाम जोकर )–
इस फ़िल्म में जोकर बनें राजकपूर को हो जाता है प्यार सर्कस में आई रशियन एक्रोबेट मरिना से, जो रशिया से आई हुई रहती हैं. इस फ़िल्म में राजकपूर अपनी मां से भी मरिना को मिलवाते हैं. ये दोनों एक दूसरे की भाषा भी नहीं समझते है,लेकिन इन दोनों के बीच फ़िल्माएं गए सीन्स काफी इमोशनल बन पड़े हैं.
ये एक दूसरे को पसंद तो करने लगते हैं, लेकिन सर्कस खत्म होते ही मरिना वापस रशिया चली जाती हैं. क्रॉस-कंट्री की ये लव स्टोरी अधूरी ही रह जाती हैं.
(शशी कपूर – नफ़ीसा) जूनुन–
ये फ़िल्म भारत में अंग्रेज़ो के खिलाफ हुई 1857 की क्रांति के बैकड्राप पर बनीं हुई है. इस फ़िल्म में शशि कपूर ने एक मुस्लिम पठान का किरदार निभाया था. इस फ़िल्म में उनकी वाईफ़ का रोल किया था शबाना आज़मी ने. इस फ़िल्म में नफ़ीसा ने रुथ नाम की एक ब्रिटिश लड़की का किरदार प्ले किया था. इस फ़िल्म में रुथ को शशि कपूर अपने घर में पनाह देते हैं. शशी कपूर इस फ़िल्म में रुथ से इकतरफा प्यार करने लगते है.रुथ की मां शशी कपूर के सामने एक शर्त रखती है कि अगर वो अंग्रेज़ो के ख़िलाफ जंग जीत जाते है, तो वो रुथ की शादी उनसे करा देंगी. लेकिन फ़िल्म के आखिर में शशि कपूर को हारते हुए दिखाया है. तब तक रुथ की नफरत प्यार में बदल जाती हैं.लेकिन रुथ की मां को किए गए वादे की वजह से ये लव स्टोरी पूरी नहीं हो पाती है .
जावेद जंग में शहीद हो जाता है और रुथ वापस अपनी मां के साथ इंग्लैंड लौट जाती हैं और सारी जिदंगी अविवाहित ही रहती हैं.
आमिर ख़ान-रशैल शैली(लगान)–
ब्रिटिशकालिन भारत के बैकड्राप पर बनीं थी फ़िल्म लगान, वैसे तो इस फ़िल्म में आमिर ख़ान ग्रेसी सिंह से प्यार करते हैं. लेकिन एलिजाबेथ जिनका किरदार रशेल शैली ने निभाया था, आमिर से इकतरफ़ा प्यार करने लगती है. जल्दी ही एलिजाबेथ को ये अहसास होता है कि आमिर गौरी यानि ग्रेसी सिंह से प्यार करते है.
तब वो अपने प्यार को भूलाकर सारी जिंदगी राधा की तरह रहने का फ़ैसला करती है. इस तरह क्रांस कंट्री की ये लव स्टोरी फल फ़ूल नहीं पाती हैं.
आमिर ख़ान-एलिस(रंग दे बसंती)–
इस फ़िल्म में एलिस ने स्यू नाम की एक डाक्युमेंट्री-मेकर का रोल प्ले किया था. जो भगत सिंह पर रिसर्च करने इंडिया आती है. इस फ़िल्म में आमिर और एलिस के बीच लव एंगल दिखाया गया है.इस फ़िल्म में आमिर ख़ान एक रेवल्यूशन का हिस्सा बनते है. इस फ़िल्म के अंत में उनकी मौत हो जाती हैं.
ये क्रास कंट्री लव स्टोरी भी पूरी नहीं हो पाती हैं.
ऋतिक रोशन -बारबारा-
फ़िल्म काईट्स में स्पेनिश ब्यूटी बारबरा और ऋतिक की लव स्टोरी को दिखाया गया था. इस फ़िल्म में ऋतिक को इंग्लिश बोलते हुए दिखाया गया है तो वहीं बारबरा को इंग्लिश समझ में नहीं आती हैं. इसमें बारबरा ने मैक्सीकन ब्यूटी नताशा का किरदार अदा किया था. इस फ़िल्म का एंड भी ट्रेजिक था.
डिफरेंट कल्चर, डिफरेंट लैग्वेज़ के बावजूद ये दोनों एक दूसरे से प्यार करने लगते हैं लेकिन इस फ़िल्म का एंड दोनों की मौत के साथ होता हैं.
सारा थॉम्पसन और रणबीर कपूर (राजनीति)–
मार्डन महाभारत कही जाने वाली फ़िल्म राजनीति में सारा थॉम्पसन और रणबीर कपूर की सिजलिंग केमेस्ट्री को दिखाया गया हैं. इस फ़िल्म में सारा की एक बॉम्ब ब्लॉस्ट में मौत हो जाती हैं.
इस तरह ये प्रेम कहानी भी अधूरी ही रह जाती हैं.
श्रीदेवी-मेंहदी (इंग्लिश-विंग्लिश)–
फ़िल्म इंग्लिश विंग्लिश में शादीशुदा श्रीदेवी जब इंग्लिश स्पीकिंग क्लॉस में जाती है, तब उनकी मुलाकात होती हैं लारेंट नाम के फ्रेंच शेफ़ से, ये रोल मेंहदी ने निभाया था.इस फ़िल्म अपने हसबंड के लिए लॉयल श्रीदेवी पर लारेंट को क्रश हो जाता है.
लेकिन श्रीदेवी के मैरिड होने की वजह से ये स्टोरी आगे नहीं बढ़ पाती है.
तो देखा आपने किस तरह क्रास-कंट्री लव यानि दो देशो के लोगों के बीच कितनी खुबसूरती से प्यार को दिखाया गया है.
लेकिन इन सब फ़िल्मों में कॉमन बात ये रहती है कि इसमें दो लव बर्ड्स प्यार भरी उड़ान भर नहीं पर पाते है यानि इनकी लव स्टोरी अधूरी ही रह जाती है.
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