एक होता है गिरा हुआ इंसान जिसके सही रास्ते पर आने के कुछ आसार होते हैं|
और एक होता है हद से गिरा हुआ इंसान जो इतना गिर चुका होता है कि आपको उससे घिन्न आने लगती है|
आज के हमारे कुछ राजनेता इस दूसरी श्रेणी में आते हैं| नाम लेके कहें तो विश्व हिंदु परिषद की साध्वी प्राची ने अपना नाम काले अक्षरों में उन राजनीतिज्ञों में लिखवा लिया है जो दूसरों की तबाही और बर्बादी के आलम में भी अपनी राजनीती की आग सेंकने से बाज़ नहीं आते!
हाल ही में साध्वी ने अपने एक भाषण में कहा कि चूँकि नेपाल में हर साल सैकड़ों गायों की बलि दी जाती है, इसी से नाराज़ होके भगवान ने सज़ा दी और वहाँ भुकंप का इतना बड़ा प्रकोप हुआ|
कोई इस मूढ़बुद्धि साध्वी से पूछे कि विश्व के कितने ही राष्ट्रों में गाय की बलि दी जाती है, उसका माँस खाया जाता है, क्या उन सभी देशों में अब भुकंप आएगा?
और कोई उनसे यह भी पूछे गुजरात में २००१ में भुकंप किस लिए आया था?
२०१३ में उत्तराखंड में बाढ़ क्यों आई थी?
सुनामी क्यों आते हैं?
ज़ाहिर है इन पढ़ी-लिखी अनपढ़ महिला के पास कोई सही उत्तर नहीं होगा सिवाए इसके की इस सब के पीछे हमारे पाप ही हैं!
बताईये, यह बात वह औरत कह रही है जिनके साथी साक्षी महारज ने कुछ दिनों पहले कहा था कि हर हिन्दू औरत को चार बच्चे पैदा करने चाहिएँ ताकि हिन्दुओं की जनसँख्या बढ़ सके! क्या ये पालेंगे गरीब के चार-चार बच्चों को? क्या ये सबको रोज़गार दिलवायेंगे?
एक तरफ लाखों लोग भुकंप की वजह से त्रस्त हैं, हज़ारों की जान चली गयी, घर-बार सब उजड़ गए और यह हैं कि बजाये मलहम लगाने के, ज़ख्म पर नमक छिड़क रही हैं! और वो भी अंधविश्वास से भरी ज़हरीली बातें करके जिस से सिर्फ उनका राजनीतिक फ़ायदा होगा|
लेकिन आज की जनता समझदार है, वो इन बेकार की बातों में नहीं आने वाली साध्वी जी!
बेहतर होगा कि आप अपनी ज़बान पर काबू रखें और अगर किसी सताए हुए इंसान के लिए कुछ कर नहीं सकतीं तो अपनी जली-कटी बकवास से उसको और दुःख न पहुँचाएँ!