धरती का पानी – पानी की कहानी बहुत ही अजीब है। हमारा जीवन शुरू होने से पहले इस धरती में पानी का अस्तित्व था और अब धरती में किन्हीं-किन्हीं जगहों पर पानी सूखने लगा है। गर्मी में पानी की किल्लत बहुत हो जाती है।
लेकिन इस दुनिया में केवल पानी ही अजीब नहीं है। बल्कि पानी से जुड़ी चीजें भी अजीब हैं। जैसे कि जहां इंसान रहते हैं वहां तो पानी सूख रहा है लेकिन जहां इंसानों की आबादी नहीं है वहां सबसे ज्यादा पानी है।
नासा ने बताया है कि धरती का 99% से अधिक पेयजल ध्रुवीय क्षेत्रों ग्रीनलैंड व अंटार्कटिका में मौजूद है और ये दोनों जलवायु परिवर्तन के प्रति काफी संवेदनशील हैं। ग्रेस उपग्रहों के डेटा से सामने आया है कि 2002 से इन दोनों इलाकों का क्षेत्रफल कम होता जा रहा है और इसके कम होने की दर बढ़ती जा रही है।
धरती का पानी –
पिघल रही है अंटार्कटिका की बर्फ
अंटार्कटिका की बर्फ पिघल रही हैं इस कारण ही अंटार्कटिका में पानी सबसे ज्यादा है। अंटार्कटिका में पानी के भीतर की बर्फ पिघलने की दर प्रत्येक 20 वर्षों में दोगुनी हो रही है, और समुद्र तल के बढ़ने का जल्द ही यह सबसे बड़ा स्रोत बन सकता है। दुनिया के सबसे विशाल ग्लेशियर के भीतर तक हासिल किये गये पहले पूर्ण मानचित्र से अनेक नये तथ्य सामने आये हैं।
‘नेचर जियोसाइंस’ में प्रकाशित एक अध्ययन रिपोर्ट के अनुसार अंटार्टिका की बर्फ पिघल रही है जिससे पानी का स्तर बढ़ रहा है। वैज्ञानिकों ने बताया है कि समुद्री जल का तापमान में बढ़ोतरी होने के कारण वर्ष 2010 से 2016 के बीच दक्षिणी ध्रुव के निकट बर्फ की सतह प्रभावित होने से इस क्षेत्र में करीब 1,463 वर्ग किमी तक बर्फ का आधार सिकुड़ गया है। यूनिवर्सिटी ऑफ लीड्स के यूके सेंटर फॉर पोलर ऑब्जर्वेशन एंड मॉडलिंग द्वारा किये गये शोध में दर्शाया गया है कि ‘क्लाइमेट चेंज’ का असर अंटार्कटिका पर इसके पूर्व आकलनों से कहीं अधिक हुआ है, और समुद्र का स्तर संभवत: वैश्विक अनुमान से कहीं ज्यादा बढ़ सकता है।
सतह की गहराई में हो रहा बदलाव
इस शोध के अनुसार धरती की सतह के बहुत अंदर में काफी बदलाव हो रहा है। इस शोध अध्ययन के एक लेखक प्रोफेसर एंड्रयू शेफर्ड कहते हैं, ‘अंटार्कटिका में आधारतल पिघल रहा है। हम इसे देख नहीं सकते, क्योंकि यह समुद्र की सतह से काफी भीतर हो रहा है। इस अध्ययन में करीब 16,000 किमी समुद्रतट को शामिल किया गया है।’
यूरोपीय स्पेस एजेंसी के क्रायोसेट-2 से हासिल आंकड़ों द्वारा आर्किमीडिज के सिद्धांत के आधार पर बताया गया है कि इस तरह बर्फ पिघलने से समुद्र के स्तर में बड़ा बदलाव होने की आशंका है।
टॉटेन ग्लेशियर पिघल रहा
धरती का पानी – अंटार्कटिका में स्थित टॉटेन ग्लेशियर पिगल रहा है। वैज्ञानिकों ने कहा है कि टॉटेन ग्लेशियर अंटार्कटिका का सबसे बड़ा और सबसे तेज तैरने वाला ग्लेशियर है। उस पर वैज्ञानिकों की काफी कड़ी दृष्टि है क्योंकि यह काफी तेजी से पिघल रहा है।
धरती का पानी – इन्हीं सब कारणों से इन दो क्षेत्रों, अंटार्कटिका और ग्रीनलैंड में पानी का स्तर बढ़ते जा रहा है और धरती का 99% पानी इन दो क्षेत्रों में है।
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