धर्म और भाग्य

नवरात्रि के हर दिन का अलग होता है महत्व, जानिए

नवरात्रि के हर दिन का महत्व – देवी मां की अनन्य भक्ति के नौ दिन, नवरात्र की महिमा अपने आप में अनूठी है। कहते हैं इन नौ दिनों मां अपने भक्तों की हर मनोकामना को पूरा करती है। पूरे देश में नवरात्रि का ये त्यौहार पूरे उत्साह और उल्लास के साथ मनाया जाता है।

इन नौ दिन मां के नौ रूप भक्तों के सभी कष्टों को दूर करे उनके जीवन में सुख, समृध्दि और सौभाग्य का संचार करते हैं।

नवरात्रि के हर दिन का महत्व, अलग विशेषता और महिमा होती है।

आइए जानते हैं नवरात्रि के हर दिन का महत्व –

मां शैलपुत्री- नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा क जाती है। मां शैलपुत्री को देवी पार्वती के नाम से भी संबोधित किया जाता है। मां दुर्गा के इस स्वरूप को समस्त आपदाओं का नाशक माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि मां शैलपुत्री की पूजा करने से व्याधि और आपदाएं दूर होती हैं।

मां ब्रह्मचारिणी- मां का ये रूप जो ब्रह्म अर्थात तपस्या का आचरण करता है, उसे ब्रह्मचारिणी कहा जाता है। दाहिने हाथ में जप की माला और बाएं हाथ में कमंडल लिए मां के इस रूप की पूजा करने से कुण्डलिनी जाग्रत होती है और दुर्भावों का नाश होता है।

मां चंद्रघंटा- नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा की जाती है। इस रूप में मां की दस भुजाए हैं और सर पर आधा चंद्रमा भी सुशोभित है। मां के इस रूप की आराधना करने से भक्त साधना में प्रवीण हो जाता है।

मां कूष्माण्डा- नवरात्रि के चौथे दिन मां कूष्माण्डा की पूजा की जाती है। मां के इस स्वरूप को सृष्टि की जननी माना जाता है। मां के इस रूप की आठ भुजाएं हैं इसलिए इन्हे अष्टभुजा देवी भी कहा जाता है। मां के इस रूप की अर्चना करने से यश, आयु बढ़ती है और सभी रोग दूर होते हैं।

मां स्कन्दमाता- असुरों का संहार करने के लिए मां दुर्गा ने शेर पर सवार हो स्कन्दमाता का रूप लिया। मां का ये रूप संतान के प्रति प्रेम को दिखाता है और सुख और शांति प्रदान करता है।

मां कात्यायिनी- मां के इस रूप की पूजा करने से व्यक्ति के शत्रु दूर होते हैं और कुंवारी कन्या के विवाह में आ रही बाधाएं दूर होती हैं। कात्यान ऋषि के घर जन्म लेने के कारण मां के इस रूप में ‘कात्यायिनी’ के रूप में पूजा जाता है।

मां कालरात्रि- मां का ये रूप सभी प्रकार के भय से मुक्ति दिलवाता है। कालरात्रि स्वरूप में मां के बाल बिखरे हुए हैं, उन्होने श्याम वर्ण धारण किया है, क्रोध उनका श्रंगार कर रहा है। मां का ये रूप बहुत ही शुभ है और अपने भक्तों के लिए भी सब शुभ ही करता है।

मां महागौरी- मां का ये रूप सौभाग्य का सूचक है। भगवान शिव के लिए कठोर तप करने के कारण देवी का ये रूप काले रंग का हो गया था जिसे भगवान शिव ने गंगा जल से धोया था और फिर मां को गौण वर्ण और गौरी नाम प्राप्त हुआ। सिंह और बैल मां के वाहन है। सुहागन स्त्रियां अपने सुहाग की लंबी उम्र की कामना के साथ मां को चुनरी भेंट करती हैं।

मां सिध्दिदात्री- मां का ये रूप सिध्दि प्रदान करने वाला है। और मां के इस रूप की साधना करने से सभी सिध्दियों की प्राप्ति होती है। मां के इस रूप की उपासना करने से सभी भौतिक और आध्यात्मिक सुखों की प्राप्ति होती है।

देवी मां के नौ रूपों की अलग महिमा है। ऐसा कहा जाता है कि त्रिदेवों ने मिलकर नवदुर्गा का सृजन किया था। इसलिए जब नवरात्रि में देवी के नौ रूपों की आरती और पूजन किया जाता है.

ये है नवरात्रि के हर दिन का महत्व – तो तीनो देवों की आरती स्वंय ही हो जाती है। ये नवरात्रि आपको भी शुभ फल देने वाले हो, यही हमारी शुभकामना है।

Deepika Bhatnagar

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