आप को याद होगा कि पिछले दिनों एक खबर आयी थी कि जाने-माने पॉप गायक और गीतकार जस्टिन बीबर महज 22 वर्ष की उम्र में अपने अंतिम संस्कार की तैयारी कर रहे हैं।
जबकि आमतौर पर देखा गया है कि दुनिया में लोग मृत्य से इतना डरते हैं कि उसके बारे बात करने तक से घबराते हैं। उनको लगता है कि जीवन में अपनी मृत्यु को लेकर अशुभ बात नहीं करनी चाहिए।
लेकिन वहीं बीबर ही नहीं एक देश ऐसा है जहां लोग अपने जीते जी अपनी मौत के बाद होने वाले क्रियाकर्म को अपनी आंखों से देखना चाहते हैं।
दक्षिण कोरिया वह देश है, जहां लोगों में अपनी मौत से पहले ही अंतिम संस्कार का चलन है. हाल के वर्षों में इस प्रवृति में बढ़ोतरी हुई हैं और इसके पीछे अपने जीवन को सकारात्मक ढंग से देखने की धारणा निहित है।
ये बताया जाता है कि सियोल में ह्योवोन हीलिंग नामक सेंटर है जो फ्यूनरल सर्विस नामक कंपनी की वित्तीय मदद से इच्छुक व्यक्तियों का नकली अंतिम संस्कार से संबंधित कार्यक्रम करता है। बताया जाता है कि अब तक हजारों लोग इस प्रकार अपना अंतिम संस्कार करवा चुके हैं।
जो लोग इस कार्यक्रम में आते हैं सबसे पहले उन्हें भाषण के जरिए आध्यात्मिक बातों को समझाया जाता है।
उन्हें वीडियो दिखाया जाता है और प्रतिभागियों को कुछ निर्देश दिए जाते हैं ताकि उनको मानसिक रूप से तैयार किया जा सके। उसके बाद में लोगों को एक ऐसे कमरे में ले जाया जाता है, जहां हल्की रोशनी होती है और जो फूल से सजा होता है। वहां बैठकर लोग पहले अपनी वसीयत लिखते हैं।
जब ये सब होता है तो फिर उन्हें ताबूत में ठीक उसी प्रकार सुला दिया जाता है जिस प्रकार मृत व्यक्ति को।
काले कपड़े पहना एक आदमी ताबूतों को बंद करता है और लोगों को दस मिनट ताबूतों में बिताने पड़ते हैं। ताकि जब वे बाहर निकले तो न केवन उनके मन से मौत का खौफ समाप्त हो जाए बल्कि उन्हें लगे कि मौत के बाद वे अब एक नया जीवन जी रहे हैं।
बताया जाता है कि नि शुल्क होने वाले इस कार्यक्रम के पीछे एक मकसद भी है।
दरअसल, इसमें शामिल होने वाले कुछ लोगों को गंभीर बीमारियां से पीड़ित होते हैं। इस कार्यक्रम के जरिए उनको अपने अंतिम समय के लिए मानसिक रूप से तैयार किया जाता है और ये देखा गया है कि गंभीर बीमारियां के कारण कुछ लोगों में आत्महत्या करने की प्रवृत्ति भी थी। लोगों का मानना है कि इसको करने के बाद उनके मन में बदलाव लाया जा सकता है।
विशेषज्ञों का कहना है कि वर्तमान दौर में काफी लोग कई कारणों से अवसाद से ग्रस्त हो जाते हैं। दक्षिण कोरिया ही नहीं कई अन्य देशों में जस्टिन बीबर जैसे लोग भी मरने से पहले अपने जनाजे की तैयारी कर चुके हैं।
वैसे एक तरह से यह सही भी है, क्योंकि मृत्यु एक शाश्वत सत्य है। कोई इससे चाहे कितना भी भाग ले, यह एक न एक दिन हर किसी को आनी ही है। इसलिए बेहतर यह है कि इस सच्चाई को जितनी जल्दी स्वीकार कर लिया जाये और इससे संबंधित सारी तैयारी पहले ही कर ली जाये।
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