अफसर की ड्यूटी – कोई भी देश तभी सुरक्षित रहता है जब उसके जवान सीमा पर मुस्तैदी से खड़े रहते है.
भारत को जो भी पड़ोसी मिले हैं सब बेकार. एक तरफ दोस्ती का हाथ बढाकर दूसरी ओर चाकू से वार करते हैं. ऐसे दुश्मनों के बीच में रहने पर आप एक पल के लिए भी सुकून की सांस नहीं ले पाते हैं.
सुकून की सांस न लेने पाने की वजह से हमारे जवानों को कई बार गोलियों का शिकार होना पड़ता है. सीमा पार के लोग आतंकवादी बनकर आते हैं और उनसे लड़के ने के लिए हमारे जवान अपना सबकुछ लगा बैठते हैं. एक साल पहले जम्मू-कश्मीर के बांदीपोरा क्षेत्र में आतंकियों की गोलीबारी में बुरी तरह घायल हुए CRPF कमांडेंट चेतन चीता दोबारा ड्यूटी पर लौट आए हैं. चेतन ने CRPF हेडक्वार्टर दिल्ली में ड्यूटी संभाली है. यह खबर एक आम इंसान को हैरान करके रख देगी. गोली लगने के बाद भी ड्यूटी पर आना सच में बड़ी बात है.
चेतन को कई पुरस्कार मिल चुके हैं. वो देश में एक ऐसा नाम बन चुके हैं जिसे सारी दुनिया अब जानने लगी है. चेतन चीता को अदम्य साहस और बहादुरी के लिए पिछले साल 15 अगस्त को शांतिकाल का दूसरा सबसे बड़ा गैलेंट्री अवॉर्ड ‘कीर्ति’ चक्र दिया गया था. 14 फ़रवरी, 2017 कश्मीर के बांदीपोरा में आतंकियों के साथ हुई मुठभेड़ में चेतन चीता बुरी तरह घायल हो गए थे, लेकिन उन्होंने ज़िंदगी से हार नहीं मानी और लड़ते रहे. शायद इसी जस्बे के कारण भारतीय सेना में शामिल होने के लिए हमारे युवा उत्सुक रहते हैं.
चेतन को १ नहीं बल्कि ९ गोलियां लगीं. उनके दिमाग पर इसका असर भी हुआ, लेकिन वो फिर से ड्यूटी पर लौट आए. सीआरपीएफ की 45वीं बटालियन में कमांडिंग ऑफ़िसर के तौर पर तैनात चीता को इस मुठभेड़ में 9 गोलियां लगी थी. इसके चलते उनके दिमाग़, दाईं आंख, पेट, दोनों बांहों, बाएं हाथ और हिप्स पर काफ़ी गंभीर चोटें आई थीं. करीब डेढ़ महीने तक कोमा में रहने के बाद उन्हें होश आया था. एक साधारण से ऑफिस में काम करने पर एक दिन के लिए बुखार आ जाए तो लोग कई दिन तक ऑफिस नहीं जाते.
इतनी गोलियां खाने के बाद भी अपने काम पर लौट आना ये बहुत ही सहस भरा कदम है. ऐसा हर कोई नहीं कर सकता. ड्यूटी पर लौटने के बाद चेतन चीता ने कहा, ‘मैं ड्यूटी पर लौटकर काफी ख़ुश हूं. इस वर्दी के बिना मेरी ज़िन्दगी अधूरी है. मैं चाहता हूं कि युवाओं को देश के लिए अपना 100 प्रतिशत देना चाहिए, जैसे मैंने दिया है.
जम्मू-कश्मीर के हालात को लेकर चेतन चीता ने कहा, वहां की स्थिति संभलने में कुछ वक़्त लगेगा, सुरक्षाबलों के हाथ में जो कुछ है, वे कर रहे हैं. कश्मीर मसले के हल के लिए राजनीतिक इच्छा शक्ति बहुत ज़रूरी है. चेतन की ये चाँद लाइन हर युवा को प्रेरित करेगी.
चेतन जैसे लोगों का होना देश के लिए गर्व की बात है, लेकिन ज़रा उनके परिवार के बारे में सोचिये, जो हर मुश्किल में उनके साथ खड़े रहे और अगर इन्हें कुछ हो जाता तो सरकार किस तरह से इनके परिवार का ख्याल रखती है ये सब जानते हैं.
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