सामाजिक परिवर्तन

दुनिया में इस देश के लोग नहीं करते कुछ काम, आलस में भारत का है ये नंबर

हमने कई बार कई लोगों के मुंह से सुना है कि आलस एक बुरी आदत होती है और इससे दूसरों को नहीं बल्कि खुद को नुकसान होता है। आलस करने वाला इंसान कभी खुद के लिए कुछ नहीं कर पाता तो उससे दूसरों के लिए कुछ करने की उम्‍मीद तो कभी करनी ही नहीं चाहिए। ऐसे लोगों को अपने जीवन में बहुत कम सफलता मिल पाती है।

आलसी प्रवृत्ति के कई लोग होते हैं और इसी वजह से दुनिया के सबसे आलसी देश का पता लगा लिया गया है। इस देश के लोग दुनियाभर के अन्‍य देशों की तुलना में शारीरिक एक्‍टिविटी और पैदल चलने में पीछे रह गए हैं। इस सर्वे के निष्‍कर्षों से आपको दुनिया के सबसे आलसी देश के बारे में तो पता चलेगा ही साथ ही इससे निपटने का रास्‍ता भी पता चलेगा।

अमेरिका की स्‍टेनफोर्ड यूनिवर्सिटी की एक रिसर्च में सामने आया है कि इंडोनेशिया दुनियाभर के सभी देशों में सबसे ज्‍यादा आलसी है। सबसे ज्‍यादा एक्‍टिव देश की बात करें तो इस लिस्‍ट में सबसे ऊपर हांगकांग का नाम आता है। यहां पर लोग रोज़ाना औसतन 6880 कदम चलते हैं जबकि इंडोनेशिया के लोग सिर्फ 3513  कम ही चलते हैं। ये सर्वे 46 देशों पर किया गया था जिसमें भारत आलसी देशों की रैंकिंग में 39वे स्‍थान पर आया है।

सर्वे की मानें तो सेहतमंद लोगों को एक दिन में कम से कम 10000 कदम चलने चाहिए। लेकिन भारत के लोग रोज़ाना सिर्फ 4297 कदम ही चलते हैं। इस सर्वे से यह बात भी पता चली है कि लोगों के पैदल चलने में जितनी ज्‍यादा असमानता होती है उनमें उतना ही ज्‍यादा मोटापा रहता है।

जैसे कि स्‍वीडन में शारीरिक एक्‍टिविटी में ज्‍यादा हिस्‍सा लेने वाले और कम हिस्‍सा लेने वाले लोगों के अनुपात में अंतर कम है इसलिए यहां पर मोटापे का स्‍तर भी कम पाया गया। इसके अलावा इस सर्वे में यह बात भी सामने आई है कि व्‍यायाम के मामले में कई देशों में महिलाओं और पुरुषों के अनुपात में भी काफी अंतर था।

जापान की बात करें तो यहां पर महिलाएं और पुरुष एकसाथ एक्‍सरसाइज़ करते हैं और इसलिए यहां मोटापे में काफी कम असमानता है। वहीं अमेरिका और सऊदी अरब जैसे देशों में महिलाएं अपनी फिटनेस पर ज्‍यादा समय खर्च करती हैं इसलिए इन देशों में एक्‍सरसाइज़ में बहुत ज्‍यादा अंतर देखने को मिला।

स्‍मार्टफोन यूज़र्स के पास कमद गिनने के लिए एक्‍सेलेरोमीटर की सुविधा होती है। इस रिसर्च के निष्‍कर्षों तक पहुंचने के लिए तकरीबन 7 लाख लोगों का डाटा इकट्ठा किया गया। ये लोग अर्गस एक्टिविटी मॉनिटरिंग का इस्‍तेमाल किया करते थे। ये रिसर्च मानव विकास पर की गई किसी भी रिसर्च से 1000 गुना बढ़ी है और इसमें लोगों की गतिविधियों के अलावा उनके व्‍यवहार को भी आंका गया है।

इस सर्वे के बाद आप ये तो जान ही गए होंगें कि स्‍वस्‍थ रहने के लिए पैदल चलना और व्‍यायाम करना कितना जरूरी है। एक्‍टिव और फिट रह कर आप भी आलस जैसी बुरी बला से दूर रह सकते हैं क्‍योंकि अगर ये आपके पास आई तो ये खुद आपके लिए अच्‍छा नहीं होगा।

Parul Rohtagi

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