भ्रष्टाचार का दीमक आज देश के सभी विभागों में घुस चुका हैं, फिर चाहे वह राजनैतिक विभाग की बात हो या आर्थिक मामलों की बात हो.
अभी कुछ दिन पहले व्यापम घोटालें ने शिक्षा क्षेत्र को हिलाकर रख दिया था लेकिन व्यापम के बाद लखनऊ यूनिवर्सिटी में एक ऐसा मामला सामने आया हैं जिससे यह ज्ञात होता हैं कि शिक्षा और खेल जैसे आधारभूत क्षेत्रों में भी भ्रष्टाचार ने अपनी जड़े जमा ली.
लखनऊ यूनिवर्सिटी में अफसरों की लापरवाही के कारण कई खिलाड़ियों का एडमिशन रूक गया हैं और कुलपति के निर्देश के बाद तीन दिनों से चल रही रिव्यु कमिटी की बैठक बे-नतीजा रही हैं, जिससे खिलाड़ियों में बहुत गुस्सा हैं.
वही इस लेटलतीफी के चलते पोस्टग्रेजुएट्सन के खिलाड़ियों का एडमिशन लटका हुआ है.
पूरा मामला ऐसा हैं कि यूनिवर्सिटी में खेल कोटे के तहत डाएरेक्ट एडमिशन के लिए 54 खिलाड़ियों का दाखिला होना था जिसके लिए 54 आवेदन आये भी थे. लेकिन यूनिवर्सिटी ने 54 आवेदन में से केवल 9 आवेदनो को ही सही पाया और बाकी आवेदनो को निरस्त कर दिया. इस निरस्ती के बाद एथलेटिक संघ ने इस मामलें में आपति जताई तब यूनिवर्सिटी के कुलपति ने सभी आवेदनों को दुबारा जांच करने के आदेश जारी किये.
आदेश जारी होने के बाद यूनिवर्सिटी की रिव्यु कमिटी बनी जिसने 21 अगस्त को एक बैठक की. काफी देर चली इस मीटिंग में बहुत हंगामे हुए लेकिन पूरी मीटिंग में कोई नतीजा नहीं निकल पाया.
रिव्यु कमिटी के बैठक के बाद मामलें की जांच कर रहे अधिकारियों शनिवार और रविवार दो दिन भी ऐसी ही कई बैठकें करते रहे लेकिन इन सब के बाद भी कोई नतीजा नहीं निकला.
समय की इस बर्बादी के बाद खिलाड़ी अफसरों के इस रवैय्ये से काफी नाराज़ हैं. खिलाड़ियों का आरोप हैं कि अगर हम अयोग्य होते तो तीन दिन तक चलनेवाली इतनी लम्बी मीटिंग क्यों की गयी?
इस पुरे मामलें में अफसरों की तरफ से ज़रूर कोई गड़बड़ी चल रही हैं.
खिलाड़ियों द्वारा गड़बड़ी के इस आरोप के साथ उच्च शिक्षा उत्थान समिति ने भी यूनिवर्सिटी पर यह आरोप लगाया हैं कि यूनिवर्सिटी ने शासन के आदेशों की अवमानना की हैं. समिति ने डिग्री शिक्षकों शैक्षिक योग्यताओं का डाटाबैस ऑनलाइन करने के निर्देश पर अभी तक अमल नहीं किया. बहुत से कॉलेज अपनी मान्यता के लिए फर्जी शिक्षकों को ले रहें हैं, जिससे योग्य शिक्षकों को नियुक्ति नहीं मिल रही हैं. वही जिन शिक्षकों को वह काम पर रखा जा रहा हैं उन्हें बहुत कम वेतन दिया जा रहा हैं. इस अनियमितता के साथ एक शिक्षक का नाम एक साथ कई कॉलेज की प्रोफ़ेशर लिस्ट में शामिल हैं.
अब अगर यदि बच्चों को पढ़ने वाले शिक्षक का यह हाल हैं तो उन बच्चों को उनसे कैसी शिक्षा मिलेगी यह चिंता का विषय हैं, क्योकि यह बच्चे ही आगे चलकर देश का भविष्य बनेंगे और यदि शुरुआत से उन्हें इस तरह का मार्गदर्शन मिलेगा तो वह अपना भविष्य कैसे संवर पाएंगे.
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