झांक रहे हैं अपने दुश्मन अपनी ही दीवारों से.
होशियार तुमको अपने, कश्मीर की रक्षा करनी है.
संभल के रहना अपने घर में छुपे हुए गद्दारों से.
जम्मू-कश्मीर पुलिस के अंदर भी एक ऐसा गद्दार मौजूद था जो घाटी में घट रही पल पल की घटनाओं की जानकारी दुश्मनों से साझा कर रहा था.
भारतीय सेना कब कहां मूव कर रही हैं और कहां सर्च आॅपरेशन चलाने वाली है. आतंकियों को ठिकाने के लिए जम्मू-कश्मीर पुलिस क्या रणनीति बनाने जा रही है. ये सब खुफिया जानकारियां जम्मू-कश्मीर पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी के द्वारा सीमापार पाकिस्तानी सेना को पहुंचाई जा रही थी.
यह मामला उस समय प्रकाश में आया जब जम्मू-कश्मीर पुलिस ने डीएसपी तनवीर अहमद को पाकिस्तान को खुफिया जानकारी देने के आरोप में सस्पेंड कर दिया. आरोप है कि राज्य पुलिस के डीएसपी तनवीर ने कश्मीर घाटी में संघर्ष के दौरान पाकिस्तानी एजेंट्स को खुफिया जानकारियां मुहैया करा रहे थे.
राज्य के पुलिस महानिदेशक के. राजेंद्र कुमार को गृह मंत्रालय से जानकारी मिली थी कि डीएसपी तनवीर अहमद लगातार टेलिफोन के जरिए सीमावर्ती इलाके में मौजूद पाकिस्तानी एजेंट्स के साथ संपर्क में हैं. जिसके बाद पिछले कुछ समय से डीएसपी तनवीर के ऊपर नजर रखी जा रही थी.
डीएसपी तनवीर अहमद ने वॉट्सऐप पर पाक एजेंट्स से जानकारी शेयर की. गृह मंत्रालय को जब इसकी भनक लगी तो उन्होंने उनकी सभी कॉल रिकॉर्ड्स की जांच करवाई. उसमें पता चला कि गोपनीय जानकारियां लगातार सीमापार साझा की जा रही हैं.
वहीं दूसरी ओर आरोपों को लेकर डीएसपी तनवीर अहमद का कहना है कि करीब एक महीने पहले उन्हें कंट्रोल रूम के फोन पर एक कॉल आया था. फोन करने वाले ने खुद को आर्मी कमांडर बताया. फोन करने वाला घाटी में अलग-अलग जगहों पर सुरक्षाबलों की तैनाती की जानकारी चाहता था. तनवीर का कहना है कि कॉलर से जानकारी साझा करने से पहले उन्होंने एसपी से इजाजत भी ली थी.
लेकिन डीएसपी तनवीर अहमद जो दावें कर रहे हैं उनको लेकर कोई भी अंदाजा लगा सकता है कि सेना द्वारा पुलिस से जानकारी लेने की एक प्रक्रिया होती है. जिसके तहत ही जानकारी साझा की जाती है.
यही नहीं डीएसपी तनवीर अहमद ने जब काॅल की होगी तो उसको यह तो मालूम हुआ ही होगा कि वह जो काॅल कर रहे हैं वह लाॅकल नंबर पर है या आईएसडी नंबर है. यह बात सही है कि घाटी में तैनात पुलिसवालों को पिछले कुछ सालों से पाकिस्तान से ऐसे फोन आते रहे हैं. आमतौर पर कॉलर्स खुद को सुरक्षा एजेंसियों का अधिकारी बताते हैं और घाटी में जवानों की तैनाती की स्थिति की जानकारी मांगते हैं. लेकिन वे जल्द ही पकड़ में आ जाते थे.
डीएसपी तनवीर अहमद द्वारा लंबे समय तक यह पता न लगा पाना कि वे किसे सूचनाएं दे रहे हैं अपने आप में सोचने का विषय है. रहा सवाल उसको पता नही चलने का तो गृह मंत्रालय ने उनकी पूरी बात सुनने के बाद ही डीजीपी को सूचित किया. यदि यह सब अनजाने में हो रहा होता तो खुफिया विभाग या गृह मंत्रालय उनको आगाह कर देता कि वे जिस व्यक्ति को जानकारी दे रहे हैं वह पाकिस्तानी अधिकारी है.
राज्य पुलिस ने यह पता लगाने के लिए ही उनपर करीब 15 दिन निगरानी की. खबर पुख्ता हो जाने के बाद ही कार्रवाई की.
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