सत्तर के दशक के मशहूर सांग दम मारों दम में हिप्पियों को ड्रग्स लेते हुए दिखाया गया है, ड्रग्स का ट्रेंड शुरु करने का क्रेडिट भारत में हिप्पयों को दिया जाता हैं.
रेव पार्टियों पर पड़ने वाले पुलिस के छापे अक्सर ड्रग्स को सुर्खियों में ला देते है लेकिन अब ये ड्रग्स सिर्फ लेट नाईट और रेव पार्टियों तक सीमित नहीं रही, शिक्षा का मंदिर समझे जाने वाले कॉलेज कैंपस भी इसकी चपेट में आ रहे हैं.
इन कैंपस में ड्रग्स का इस्तेमाल यूं चोरी छुपे होता है कि किसी को इसकी भनक भी नहीं लगती है.
कॉलेज स्टूडेंट्स में ड्रग्स के बढ़ते का चलन कारण-
पढ़ाई का प्रेशर-
आज पहले की तरह आसानी से जॉब्स हासिल नहीं होती हैं. स्टूडेंट का एजुकेशनल रिकार्ड भी उन्हे बढ़िया जॉब दिलाने में महत्वपू्र्ण भूमिका निभाता है. एक्ज़ाम और अच्छे परफार्मेंस का स्ट्रेस ना झेल पाने के कारण स्टूडेंट्स ड्रग्स की तरफ़ अट्रेक्ट हो रहे हैं
लव अफ़ेयर्स में मिली नाकामी-
आज युवा जल्दी से जल्दी अपने मनमुताबिक गर्लफ्रेंड या बॉयफ्रेंड पाने की चाहत रखते हैं,उनकी ख़्वाहिश कभी कभी अधूरी ही रह जाती हैं,अगर पूरी हो भी जाती हैं तो प्यार में मिली नाकामी के दर्द को कम करने के लिए वो ड्रग्स का सहारा लेने लगते हैं.
फ़ैमिली से इमोशनल सपोर्ट ना मिल पाना-
आज पहले की तरह जाईंट फ़ैमिलीज़ नहीं रही,साथ ही वर्किंग कपल्स का ट्रेंड बढ़ता जा रहा हैं.ऐसे में परेंट्स चाह कर भी बच्चों को टाईम नहीं दे पाते है,ऐसे में बच्चे अपनी प्रॉब्लम अपने पेरेंट्स के साथ शेयर नहीं कर पाते हैं.
साथ ही भारत में सेपरेट पेरेंट की तादात भी बढ़ती जा रही है. ऐसे में वो अपना अकेलापन दूर करने के लिए वो ड्रग्स का सहारा लेने लगे हैं.
ड्रग्स के कॉमन साईड इफ़ेक्ट्स
१. हार्ट बीट और ब्लड प्रेशर का बढ़ना
२. कनफ्युज़न होना
३. तनाव बढ़ना
४. नींद ना आना
५. मुंह का सूखना
६. ब्रेन स्ट्रोक
लांग टर्म साईड इफ़ेक्ट-
१. वायलेंट बिहेवियर
२. सुसाईडल थॉट्स का आना
३. चेहरे का नूर कम होना
४. एपिलेप्सी
ओवरडोज़ से होने वाले साईड इफ़ेक्ट्स-
१. किडनी फ़ेलियर
२. हार्ट अटेक
३. यहां तक कि ड्रग्स के ओवरडोज़ से मौत भी हो सकती है. ड्रग्स के नशे में लोग कई इललीगल काम और क्राईम भी कर बैठेते है. साथ ही गलत तरीके से इंजेक्शन लेने से युवा तेजी से एआईवी और हेपिटायटिस सी से भी इन्फ़ेक्टेड हो रहे है
ड्रग्स के प्रकार-
कोकीन
हेरोइन
मरिउवाना
मेस्कलिन
ड्रग्स की लत से निजात पाने के तरीके-
१. साइकिएट्रिस्ट की सहायता लेना
२. योग और प्रणायाम
३. नेचरोथैरेपी
४. आयुर्वेदिक और होम्योपैथिक दवाएं लेना
भारत के कई रिहैबिलीटेशन सेंटर्स जो कि युवाओं को नशामुक्त करने और नशे की लत को छुड़वाने में मदद करते हैं.
ड्रग्स की लत छुड़वाने के लिए सिर्फ कानून ही काफी नहीं है,सरकार को इसके लिए अवेयरनेस प्रोग्राम भी चलाना चाहिए, ताकि देश की युवाशक्ति कमजोर नहीं होना चाहिए,और कई जिंदगियों को आर्थिक और सामाजिक नुकसान से बचाया जा सके.
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