दृश्यम रिव्यु…
आँखों देखा क्या हमेशा सच होता है ?
अब तक आप शायद ये मानते हो पर दृश्यम देखने के बाद शायद आपको भी लगेगा कि आँखें वही देखती है जो दिखाया जा रहा है.
दृश्यम कहानी है गोवा के एक गाँव में रहने वाले केबल टीवी मालिक विजय सालगांवकर की. एक सीधा साधा मध्यमवर्गीय खुशहाल परिवार का मुखिया. जब इस परिवार पर आंच आती है तो अपनी बुद्धि के दम पर और अपने फिल्मों के शौक से कैसे पूरे पुलिस विभाग को उँगलियों पर नचा देता है.
इस से अधिक जानना है तो फिल्म ही देखनी पड़ेगी.
दृश्यम फिल्म में बहुत सी खास बातें है जिनके बारे में बारी बारी से बात करते है
कहानी
दृश्यम सुपरहिट मलयालम फिल्म का रीमेक है जिसकी कहानी लिखी थी जीतू जोसफ ने.
किसी भी थ्रिलर की जान उस फिल्म की कहानी होती है और जीतू की कहानी दमदार है. तकरीबन 3 घंटे की ये फिल्म एक पल के लिए भी बोरियत नहीं महसूस होने देती. शुरूआती आधे घंटे के बाद जब कहानी अपनी रफ़्तार पकडती है तो दर्शक इंटरवल से पहले अपने नाखून चबाने लगता है तो इंटरवल के बादरोमांच से वो अपनी सीट के कोने पर आ जाता है .
काफी वर्षों बाद हिंदी में इतनी उम्दा सस्पेंस थ्रिलर आई है. कहानी के लिए दृश्यम को मिलते है पूरे अंक.
निर्देशन
इस फिल्म के निर्देशक है राष्ट्रीय पुरूस्कार प्राप्त निशिकांत कामथ.
कामथ ने कहानी के साथ पूरा न्याय किया है. अपने सटीक निर्देशन से उन्होंने कहीं भी फिल्म की रफ़्तार धीमी नहीं पड़ने दी है. निर्देशक ने गोवा का वो रूप दिखाया है जिसे हम में से शायद ही किसी ने देखा होगा.
कलाकार
कहानी और निर्देशन में दम हो पर कलाकार अपने किरदार के साथ न्याय न कर सके तो फिल्म में दम नहीं रहता. दृश्यम इस मामले में भी बहुत उम्दा है. एक एक कलाकार अपने किरदार में सटीक बैठता है.
अजय देवगन को देखकर तो लगता है कि इस किरदार को इतने अच्छे तरीके से उनके सिवा कोई और निभा ही नहीं सकता था. काफी समय बाद अजय देवगन का गंभीर अभिनय देखकर अच्छा लगता है.
आई जी के किरदार में तब्बू पूरी तरह समा गयी है. एक कडक पुलिस अफसर और साथ में एक दुखी माँ जो अपने बेटे के बारे में सच जानने के लिए किसी भी हद तक जा सकती है.
श्रेया सरन ने भी अजय की पत्नी के रूप में अपने किरदार के साथ पूरा न्याय किया है. अजय देवगन की बेटियों का अभिनय करने वाली दोनों अदाकाराओं ने अच्छा अभिनय किया है. खासकर अनु के रूप में छोटी बेटी का अभिनय करने वाली बाल कलाकार का. तब्बू के पति के रूप में रजत कपूर भी जचे है.
संगीत
आम तौर पर इस तरह की फिल्मों में संगीत का पक्ष कमज़ोर होता है पर दृश्यम इसका अपवाद है.
दृश्यम में केवल तीन गाने है जिसे संगीत और शब्दों से संवारा है विशाल भरद्वाज और गुलज़ार साहब ने. रेखा भरद्वाज, राहत फ़तेह अली खान, अरिजीत सिंह और के के के गाये ये गीत सुकून देते है श्रोताओं को.
दृश्यम एक बहुत ही उम्दा फिल्म है मंथर गति से शुरू होकर ये फिल्म क्लाइमेक्स तक कहीं नहीं रूकती.
ये था दृश्यम रिव्यु : शुरू से अंत तक बाँध कर रखने वाला रोमांच
अगर आपको अच्छी कहानी और अच्छी अदाकारी वाली फिल्मे पसंद है तो दृश्यम ज़रूर देखें.
और हाँ फिल्मों का जूनून रखने वाले लोगों के लिए किसी तोहफे से कम नहीं है ये फिल्म.
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