जो सोता है वो खोता है… जो जागता है वो पाता है…
लेकिन अगर ये कहे कि जो सोता है वो नोबेल पुरूस्कार पाता है तो ?
बचपन से यही सुनते रहे है ना हम सब. वैसे देखा जाए तो ये बात लगभग सही भी है. सफलता तो तभी मिलेगी ना जब जागेंगे. लेकिन कभी कभी ऐसा होता है कि जागते हुए हम वो नहीं सोच पाते जो गहरी नींद में सोच लेते है.
ऐसे उलझे सवालों के जवाब जो सुलझाने में नाकामयाब रहे हो नींद में बिना सोचे समझे ही सुलझ जाते है.