अंधों के सपने – हर कोई सपना देखता है.
अंधे लोगों को भी सपने आते हैं पर दृष्टिहीन लोगों के सपने देखने में सक्षम लोगों के सपन से अलग हो सकते हैं.
अंधों के सपने – कोई दृष्टिहीन व्यक्ति अपने सपने में क्या देखता है यह इस बात पर भी निर्भर करता है कि उसने अपनी दृष्टि कब खोई है.
जो व्यक्ति जन्म से दृष्टिहीन होते हैं या जिनकी दृष्टि 5 साल से कम उम्र में चली जाती है उन्हें अमूमन दृश्यात्मक सपने नहीं आते. ऐसा इसलिए क्योंकि हमारे सपने हमारे आंतरिक विचार, इच्छाओं और डर का ही प्रतिबिंब होते हैं. जिन्होंने कभी भी चित्र या रौशनी नहीं देखी वे सपने में भी चित्र नहीं देखते.
जिन लोगों की दृष्टि 7 साल के बाद जाती है उन लोगों के सपने ठीक उसी तरह रंगीन होते हैं जैसे दृष्टियुक्त लोगों के. जो लोग एक लंबी जिंदगी जीने के बाद अंधे हो जाते हैं उनके सपने भी लंबे समय तक रंगीन और चित्रतात्मक बने रहते हैं.
जिन लोगों की दृष्टि 5 या 7 साल के बीच में खो जाती है उन्हें मिश्रित सपने आते हैं.
कभी-कभी वे रंगीन और चित्रात्मक सपने देखते हैं तो कभी अचित्रात्मक. दृष्टियुक्त लोगों के लिए यह कल्पना करना भी कठिन हो सकता है कि अचित्रात्मक सपने कैसे हो सकते हैं. पर यह सच है.
दृष्टि न होने पर मनुष्य का मस्तिष्क कुछ नई क्षमताएं अर्जित कर लेता है.
दृष्टिहीन व्यक्तियों के अन्य संवेदी शक्तियां जैसे सूंघने की शक्ति, सुनने की शक्ति, स्पर्श की क्षमता आदि काफी बढ़ जाती हैं. दृष्टिहीन व्यक्तियों के पास दुनिया देखने का एक अपना तरीका होता है. उनकी दुनिया चित्र और रौशनी के बजाय सुगंध, आवाज, स्पर्श, स्वाद आदि संवेदनाओं से निर्मित हुई होती हैं. फलस्वरूप इनके सपनों में भी यही दुनिया नजर आती है.
दृष्टिहीन व्यक्तियों के सपनों में भी वही समाजिक ताने-बाने, आकांक्षाएं और डर होतें हैं जो की दृष्टियुक्त व्यक्तियों होते हैं.
हालांकि दृष्टिहीन व्यक्ति खो जाने, कहीं गिर जाने या गाड़ियों से टकरा जाने जैसे डरवाने सपने दृष्टियुक्त व्यक्तियों से अधिक देखते हैं.
ऐसे होते है अंधों के सपने !
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