विशेष

हमारी भावनाओं से खेलकर ये व्यापारी अरबपति बन गए है! जानिये कैसे!

भारत कभी सोने की चिड़िया कहा जाता था, जहाँ लोग सोने की थाली में रखकर दान देते थे.

खुद के घर में खाना हो या ना हो, लेकिन कभी किसी को खाली हाथ नहीं जाने देते थे. हमारी अतिथि देवो भवः की परम्परा, जिसको हथियार बनाकर अंग्रेज हमारे देश में आये,  हमें गुलाम बनाया, और सब कुछ लूट कर ले गए.

सच में हम भारतीय अजीब है. हमारी परम्पराए और मान्यताएं हमसे भी अजीब है. तभी तो अंगेजों की सैकड़ों साल की गुलामी के बाद भी किसी ने सबक नहीं लिया.

बस, इसी का फायदा उठाकर कुछ  व्यापारी हमारी भावनाओं से खेलकर आज अरबो रूपये कमा रहे है!

तो आइये जानते है ये व्यापारी कौन है और आखिर क्या बेच रहे  है  

धर्म

भारत में पहले धर्म ज्ञान की कोई कीमत नहीं थी. लेकिन आज कुछ महानुभावों  ने धर्म को ही बेचना शुरू कर दिया. धर्म के नाम पर बेहिसाब संपत्ति कमाकर समाज में पूजनीय बने हुए है. मजे की बात तो यह  है, हमसे पैसे लेकर यह व्यापारी अमीर बनते गए और हम पैसे देकर गरीब बनते गए. फिर भी हम उन्ही पर अंध विशवास रख कर उनके चरणों में पड़े रहते है. सच में यह व्यापरी भी कमाल के है. सामने वाले से सब लेकर भी उनको अपनी शरण में रखे हुए है.

सपने

कम समय में बहुत ज्यादा पैसे कमाने का सबसे आसान और स्मार्ट तरीका है, सपने बेचना. जिसको सपने बेचना आता है उसको दुनिया मुट्ठी में रखना आ जाता है. जहाँ लोगो के आँखों में दिखाए सपने आना शुरू हुआ. वहां से इन व्यापारियों का व्यापार शुरू होने लगता है.

भावना

ये व्यापारी हमारी आस्था और भावना से खेलते है. सब जानते हैं धर्म के नाम पर पैसा चढाने से कामयाबी और ख़ुशी नहीं आती, लेकिन फिर भी भावनात्मक अपना पैसा व्यर्थ में लुटाने लगते है. भले ही खुद की जेब खाली हो जाए, मंदिर के बहार बैठे गरीब को खाना ना खिलाये, लेकिन व्यापारियों की झोली भरने सबसे आगे खड़े मिलते है.

 दर्द 

पहले दर्द बांटा जाता था. ताकि दर्द ख़त्म हो सके लेकिन आज दर्द  बेचा जाता है. कही समाजसेवी दर्द बेचकर अपने बैंक बैलेंस बढ़ा रहे है. तो कही राजनेता शहीद लोगो के नाम पर सहानुभूति बटोर कर वोट बैंक बढ़ा रहे है. लोग दर्द बेचने वाले व्यापारियों को दान में सब कुछ दे देते हैं, लेकिन जिसको दर्द हो रहा है उसके जख्म देखकर निकल जाते है.

पूर्वज का नाम

अपने पूर्वजों का नाम बेचकर भी ये व्यापारी करोडपति बन गए है. जिनको मरे सालो हो गए, लेकिन उनके नाम पर पैसा दान ले लेकर अपना व्यापार चला रहे है. खुद देश के लिए कुछ नहीं किया, लेकिन खानदान के नाम पर लोगो से दया और राजनीति में वर्चस्व कायम रखे हुए है.

सच में कमाल का देश है हमारा.

यहाँ लोग सीधे हैं या मुर्ख, यह बता पाना मुश्किल है. लेकिन जो भी है इन व्यापारियों को हम सबने मिलकर ही अरबपति बना रखा है.

हमारा देश बदल गया, वक़्त बदल गया, लेकिन हमारी सोच आज भी वही रह गई है, जिसके कारण भारतियों का सीधापन लोगो को मुर्खता लग रही है और लोग अपना यह व्यापार बेख़ौफ़ होकर चला रहे हैं आगे बढ़ा रहे है.

Dr. Sarita Chandra

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