दर्द
पहले दर्द बांटा जाता था. ताकि दर्द ख़त्म हो सके लेकिन आज दर्द बेचा जाता है. कही समाजसेवी दर्द बेचकर अपने बैंक बैलेंस बढ़ा रहे है. तो कही राजनेता शहीद लोगो के नाम पर सहानुभूति बटोर कर वोट बैंक बढ़ा रहे है. लोग दर्द बेचने वाले व्यापारियों को दान में सब कुछ दे देते हैं, लेकिन जिसको दर्द हो रहा है उसके जख्म देखकर निकल जाते है.