हम सभी जानते है कि द्रौपदी का विवाह अर्जुन से हुआ था।
लेकिन बाद में उनको पाँचों पांडवों से विवाह करना पड़ा था क्योंकि पांडवों की माता कुंती ने बिना देखे ये कह दिया था कि जो भी लाये हो उसको पाँचों भाई आपस में बाँट लों। ये पांडवों और द्रौपदी के विवाह की कहानी थी।
लेकिन क्या आप जानते है कि विवाह के पहले द्रौपदी महारथी कर्ण से प्रेम करती थी।
जी हाँ द्रौपदी और कर्ण एक-दूसरे को प्रेम करते थे लेकिन उनका विवाह ना हो सका।
तो आइये जानते है द्रौपदी और कर्ण की इस अधुरी प्रेम कहानी के बारे में।
पांचाल देश के राजा द्रुपद की पुत्री द्रौपदी उस समय की सबसे सुन्दर महिलाओं में से एक थी। उनकी बुद्धि और विवेक को देखकर कई राज्य के राजा द्रौपदी पर मोहित थे। उनको पसंद करने वालो में से एक कर्ण भी थे, जिनको द्रौपदी का निडर स्वभाव खासा पसंद था।
जब राजा द्रुपद ने द्रौपदी के स्वयंवर के लिए महान योद्धाओं के चित्र भिजवायें तो उनमें से कर्ण का चित्र देखकर द्रौपदी कर्ण को पसंद करने लगी थी और मन ही मन प्रेम करने लगी थी।
लेकिन द्रौपदी के पिता द्रुपद भीष्म से प्रतिशोध लेना चाहते थे इसलिए वो चाहते थे कि द्रौपदी का विवाह अर्जुन से ही हो।
इसके साथ ही द्रौपदी ये भी जान चुकी थी की कर्ण एक सूतपुत्र है और अगर उसका विवाह कर्ण से होता है तो वे जीवनभर एक दास की पत्नी के रूप में पहचानी जाएगी। अपने आप से निराश होते हुए द्रौपदी ने स्वयंवर में एक कठोर निर्णय लेते हुए कर्ण को सूतपुत्र कहकर अपमानित भी किया।
इससे कर्ण को बहुत आघात पहुंचा।
लेकिन पांडवों से विवाह के बाद भी द्रौपदी कर्ण को अपने मन से नहीं निकाल पाई। जब भीष्म पितामह मृत्युशैया पर लेटे थे उस समय महारथी कर्ण भीष्म से मिलने के लिए गए। तब उन्होंने भीष्म को द्रौपदी से आजीवन प्रेम करने का रहस्य बताया। जब वो अपनी प्रेम कहानी भीष्म को बता रहे थे तो उनकी बातें द्रौपदी ने भी सुन ली।
उस समय द्रौपदी को ज्ञात हुआ कि केवल वो ही नहीं बल्कि महारथी कर्ण भी उससे उतना ही प्रेम करते है जितना कि वो करती है। लेकिन जब महाभारत के युद्ध में अर्जुन ने कर्ण का वध कर दिया तो ये प्रेम कहानी फिर से अधुरी ही रह गई।