द्रुपद की पुत्री द्रौपदी – द्रौपदी महाराज द्रुपद की अनियोजित कन्या थीं.
द्रुपद की पुत्री द्रौपदी जन्म के समय आकाशवाणी हुई थी: –
“देवताओं का कार्य सिद्ध करने के लिए एवं उन्मत क्षत्रियों के संहार के लिए ही इस रमणी रत्न का जन्म हुआ है. इसके द्वारा कौरवों को बड़ा भय होगा…”
द्रुपद की पुत्री द्रौपदी का जन्म महाराज द्रुपद के यहां होने से तथा द्रुपद पुत्री होने के कारण उन्हें द्रोपदी कहा गया. द्रौपदी को यज्ञसेनी भी इसलिए कहा जाता है कि मान्यता अनुसार उनका जन्म यज्ञकुण्ड से हुआ था. उनका शरीर कृष्ण वर्ण के कमल के जैसा कोमल और सुंदर था, अतः इन्हें कृष्णा भी कहा जाता है.
द्रोपदी की इच्छा थी कि उसका विवाह जिसके साथ हो उसमे यश्वान, धनवान, सौन्दर्यवान, धर्यवान, धर्मवीर, साहसी, बुद्धिमान, ज्ञानी, ताकतवर, योद्धा, हिम्मती, राजगुणी, देवप्रेमी, सच्चा और कीर्तिवान जैसे 14 गुण हो.
इस इच्छा को पूरा करने के लिए द्रुपद की पुत्री द्रौपदी ने शिवजी की कठोर तपस्या शुरू की. द्रोपदी के कठोर तप से प्रसन्न होकर शिव जी प्रकट हुए और द्रौपदी को अपना इच्छित वरदान मांगने को कहा.
तब द्रोपदी ने शिव जी से अपनी इच्छानुसार 14 गुणों को धारण करने वाला पति मांगा.
द्रोपदी की इच्छा सुनकर शिव जी ने कहा ये 14 गुण एक पुरुष में होना संभव नहीं है. मैं तुम्हे वरदान देता हूँ कि ये चौदह गुण तुम्हें अलग अलग व्यक्ति में मिलेंगे. तुम्हारा विवाह इन चौदह गुणों वाले चौदह पुरुषों के साथ होगा.
शिवजी की बात सुनकर द्रोपदी ने पूछा :- “भगवान् आप मुझे वरदान दे रहे हैं या श्राप, अगर मेरा विवाह 14 पुरुषों से हुआ तो मेरे स्त्री सम्मान कलंकित हो जायेगा.”
तब शिव जी ने द्रुपद की पुत्री द्रौपदी के स्त्री सम्मान की रक्षा के लिए उसको उस वरदान के साथ एक और वरदान दिया कि जब भी तुम सुबह उठकर नहाओगी तब तुम फिर से कुंवारी कन्या बन जाओगी. तुम्हारा कुवारापन कभी समाप्त नहीं होगा.
और इसके बाद…
शिव के वरदान से द्रुपद की पुत्री द्रौपदी का विवाह पाँचों पांडव से हुआ जिनमे द्रोपदी के मांगे 14 गुण शामिल थे. इस तरह से द्रौपदी का विवाह चौदह पतियों के बदले चौदह गुणों वाले पांच पतियों से हुआ.