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आमिर खान आग लगाने के बाद अब उसे बुझाने का नाटक बंद करो!

 आमिर खान…

आखिर क्या कह कर पुकारे तुम्हे?

भुवन, ACP राठौर या राम निकुम्ब या रंग दे बसंती का दलजीत? 

वैसे ये सब किरदार वैसा ही धोखा था, जैसे आपके सत्यमेव जयते के आंसू.

बड़ी बड़ी बातें करके, अपनी एक छवि बनाकर आपने लाखों करोड़ों फैन बनाये. क्या आप जानते है कि प्रसिद्धि के साथ साथ एक जिम्मेदारी भी आती है. क्या आप उस ज़िम्मेदारी को भूल गए या फिर आपने अपने फायदे के लिए अपनी छवि का इस्तेमाल किया?

कल रामनाथ गोयनका पुरूस्कार समारोह में इंटरव्यू के दौरान आपने असहिष्णुता के बारे में कहा. अपनी बात रखने में कोई हर्ज़ नहीं है. हमारे देश में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता सभी को है. फिर चाहे वो आमिर खान नाम का सुपर सितारा हो या फिर सडक किनारे सब्जी बेचने वाला.

लेकिन क्या ये ज़रूरी था कि उसी मंच पर आपको असहिष्णुता की बात बोलनी थी. इतने सालों तक आपको कभी कोई तकलीफ नहीं हुई और अचानक आपके परिवार को इतना डर लगने लगा कि आप देश से जाने की बात सोचने लगे.

चलिए हम उन बातों पर नहीं जायेंगे कि इस देश ने आपको ये दिया वो दिया. जो कमाया जो भी किया आपकी किस्मत थी. लेकिन ज़रा ये बात बताइए क्या आपके जैसे रुतबे वाले के साथ कभी कुछ गलत हो सकता है?

जैसा कि आप और तथाकथित बुद्धिजीवी कह रहे है वैसा कोई असहिष्णुता का माहौल देश में नहीं है और ये बात तो आप भी जानते है कि देश में अगर युद्ध भी हो जाए ना तो आपके पास इतना पैस, इतनी ताकत और इतने कांटेक्ट है कि आपको या आपके परिवार को कोई भी आंच नहीं आएगी.

डर लगता है मध्यमवर्गीय या निम्नवर्गीय लोगों को जो शिकार बनते थे और बनते आ रहे है असहिष्णुता के.

चाहे 84 के दंगे हो या 93 के ब्लास्ट शिकार होता है तो साधारण आम आदमी. आपने शायद उस आम आदमी के लिए कभी कुछ अच्छा ना किया हो तो अब उस भोले भले आम आदमी को अपनी भड़काने वाली बातों में ना लायें. वो आपको हीरो मानता है तो आपकी बातों का समर्थन और विरोध भी करेगा.

कल आपने एक बयान दिया और पूरे देश में माहौल खराब हो गया, यही चाहते थे ना आप?

बस कैसे भी हो मेरी कही बात सही साबित हो जाए.

आप असहिष्णुता की बात करते हो, शाहरुख़ भी करते है लेकिन तब क्या असहिष्णुता नहीं थी जब AR रहमान के खिलाफ मुस्लिम संगठन ने फतवा जारी किया था?

क्या तब आपको या आपके परिवार को डर नहीं लगा जब मुंबई की शक्ति मिल में एक पत्रकार का बलात्कार हुआ?

कान्जुर मार्ग में एक इंजिनियर लड़की की बलात्कार के बाद हत्या कर दी गयी?

तब कान पर जूँ तक नहीं रेंगी और अब इतना बवाल.

आपको लगा था की वो जमात जो पिछले 60 सालों से कांग्रेस की दी मलाई खा रही थी आपके साथ खडी हो जाएगी और वो हुई भी लेकिन शायद आप ये भूल गए कि इस देश के आम आदमी शांतिप्रिय भले ही हों पर उन्हें भी समझ सब आने लगा है.

किस प्रकार एक सोची समझी चाल के मुताबिक देश की जनता द्वारा चुनी गयी सरकार और देश को बदनाम किया जाए.

आपने एक पब्लिक प्लेटफार्म पर लोगों की भावनाओं को आहत किया तो लोगों ने भी उसकी प्रतिक्रिया ही दी है. अब बेचारे सीधे साधे लोग घुमा फिराकर बात नहीं करते सो उन्होंने अपनी देसी भाषा में गलियाना शुरू कर दिया.

वैसे अब आपको मौका मिल गया खुद की कही बात को सही साबित करने का इसीलिए कल के बयान के बाद अब भूल सुधारने और सहानुभूति अर्जित करने के लिए बोलने लगे –  मैं देश छोड़ कर कहीं नहीं जाऊंगा. लेकिन मुझे गलियाने वालों ने मेरी कल कही बात को सही साबित कर दिया.

ये दोहरे खेल खेलना बंद करो.

वैसे भी कहा गया है कि जब भी कोई विवाद पैदा होता है तो उससे मिलने वाली प्रसिद्धि में राजनेता, मीडिया और सेलेब्रिटी सबका हिस्सा निर्धारित होता है.

आपको आपके बयान के बाद समुचित पब्लिसिटी मिल गयी लेकिन क्या आपने सोचा है कि आपकी कही बात से देश का जो माहौल बिगड़ा है उसमे अगर किसी की जान चली गयी तो उसका ज़िम्मेदार कौन होगा?

उसके ज़िम्मेदार सिर्फ और सिर्फ आप होंगे मि. आमिर खान!

आपको अगर समस्या थी तो सीधा प्रधानमन्त्री या फिर ऐसे मंच पर बोलना था जहाँ समस्या के समाधान का उपाय भी किया जाता और देश भी जलने से बच जाता. लेकिन आपने वो रास्ता नहीं चुना और जो रास्ता आपने चुना उससे तो यही शक होता है कि आपको बस बयान देना था जो दे दिया. जैसे कि वो किसी फिल्म का लिखा हुआ सीन हो.

हमारे देश की सहिष्णुता जाननी हो तो बाहर निकालिए और पूछिए उन पडौसी दुकानदारों से जिनमे से एक मुस्लिम है और एक हिन्दू है. जो जवानी से बुढ़ापे तक हँसते खेलते रहे है लेकिन आपके और आपके जैसे दूसरों के नफरत फ़ैलाने वालों के बयानों से उनके मीठे रिस्ते में भी कडवाहट आने लगी.

अगर हमारा देश सहिष्णु नहीं होता ना तो यहाँ भी ना जाने कब का एक LTTE या फिर ISIS खड़ा हो जाता और हालत सीरिया या इराक से भी भयावह हो जाते.

जाते जाते एक बात और  आपकी फिल्म में कहा जाता है कि “कोई देश परफेक्ट नहीं होता  उसे परफेक्ट बनाना पड़ता है ”

और असल जिंदगी में आप देश को परफेक्ट बनाना तो दूर,  जैसा है उससे भी बदतर बना देने वाले काम कर रहे हो.

आमिर खान तुम तो “रॉंग नंबर ” निकले

Yogesh Pareek

Writer, wanderer , crazy movie buff, insane reader, lost soul and master of sarcasm.. Spiritual but not religious. worship Stanley Kubrick . in short A Mad in the Bad World.

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Yogesh Pareek

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