में बेटी पैदा नहीं करूँगा….
क्यों करूँ पैदा.. इसलिए ताकि जब उसे स्कूल पढ़ाई के लिए भेजू तब मुझे यह डर सताए की कहीं वो बस का कंडक्टर या ड्राईवर उस नादान को अपनी हवस का शिकार न बना ले.
या इसलिए ताकि में टेंशन में रहू जब जब वो घर से निकले, या फिर इसलिए ताकि जब वो उसके लड़के दोस्तों के साथ सभ्यता पूर्व बात कर रही हो, तब भी लोग उसे कलंकित दृष्टी से देखें.
या इसलिए ताकि जब वो कॉलेज के बस स्टॉप पर रुकी हो तब कुछ लोग उसका आँखों से बलात्कार करे,
या इसलिए ताकि जब तक वो घर ना आये तब तक में सो न सकू, यह चिंता में की कही वो भी दामिनी की तरह समूह-बलात्कार की शिकार न हो जाये.
या इसलिए ताकि मुझे उसे बचपन से समझाना पड़े कि कुछ कपडे मत पहनो, वरना अगर कुछ क्रूर कृत्य हुआ तो समझ तुम्हारे कपड़ो को ही दोषी मानेगा,
या इसलिए ताकि जब कोई आवारा लड़का उसके पीछे पड़े और उस पर एसिड फेकनें की धमकी दे वह भी भरे बाज़ार में और पूरा बाज़ार नपुंसक की तरह देखता रहे,
या इसलिए ताकि जब वह गर्भवती हो तब मुझ उसको समझाना पड़े कि, “बेटी, लड़की पैदा मत करना.”
वो मेरी बेटी है भाई, सिर्फ तेरी यौन-क्रिया का साधन नहीं.
भारत में प्रति वर्ष अनहद महिला शोषण और १५ लाख कन्या भ्रूण हत्या होती है,
और उसमे केवल माँ-बाप का दोष नहीं परन्तु, कहीं न कहीं हम भी उसके लिए ज़िम्मेदार हैं
बस अबसे कुछ साल बाद
ना बेटियाँ होगी, ना औरत होगी, और ना ही महिला दिवस होगा.
इसलिए #saynowomensday
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