डाक्टर हमारे लिए भगवान का रूप होता है. हम आँख बंदकर इस भगवान पर विश्वास करते हैं.
लेकिन अगर यही भगवान अगर राक्षस बन जाये तो ऐसे में भला हमारे पास क्या रास्ता बचता है?
आज मासूम बच्ची दीपिका जो मात्र 6 साल की है, वह जिन्दगी और मौत के बीच फँसी हुई है.
बच्ची जब अस्पताल में लायी गयी थी तब अपने मम्मी-पापा से जेल्दी सही करवाने के लिए बोल रही थी किन्तु अब एक ऑपरेशन और डाक्टर की लापरवाही के बाद वह बच्ची दुआओं के दम पर साँसे ले पा रही है बस.
आइये अब आपको पूरे इस केस से वाकिफ कराते हैं और पर्दा उठाते हैं भारत के नंबर एक कहे जाने वाले अस्पताल एम्स में हुए इस जाल साजी के केस से,
बरेली के रहने वाले गरीब पवन की बेटी को पेट में काफी दर्द रहता था, जब उत्तरप्रदेश में एक बेहतर ईलाज नहीं मिल पा रहा था तब ऐसे में अपनी बेटी दीपिका को लेकर यह दिल्ली के एम्स में आ जाते हैं. यह बात है नवंबर 2014 की, काफी दिक्कतों के बाद यहाँ डाक्टर से मिलना इनके लिए सफल साबित हो पाया और जब बच्ची की जांच हुई तो डाक्टर ने रिपोर्ट के आधार पर साफ़ कर दिया किया बच्ची की लेफ्ट किडनी में इन्फेक्शन हो चुका है और हमें इसका ऑपरेशन करना होगा.
पिता पवन के पास और कोई चारा नहीं था, बच्ची की जान बचाने के लिए पिता ने हाँ कर दी, अब ऑपरेशन का वक़्त 2015 में आया.
ऑपरेशन किया एम्स के डाक्टर श्रीनिवासन ने. जब लड़की बाहर आई तो इसी डाक्टर से मालुम पड़ा कि, ‘हमें आपकी बच्ची की दोनों किडनी निकालनी पड़ी हैं, दोनों ही किडनी ख़राब हो चुकी थीं.’
अब इस गरीब पिता के पास तो कोई चारा ही नहीं बचता है, जिसके जरिये वह अपनी बच्ची की जान बचा सके.
डाक्टर श्रीनिवासन ने सलाह दी कि आप गाँव जाओ और किसी को वहां से बुला लाओ ताकि किसी और की किडनी बच्ची को लगा दी जाए.
पिता ने तब डाक्टर से बार-बार कहा कि हमारी बच्ची की दूसरी किडनी सही थी, अपने उसे क्यों निकाला? अपने मेरी बच्ची के साथ सही नहीं किया है. तब यही डाक्टर अपना बयाँ बदलता है कि देखिये आपकी बच्ची के पेट में एक ही किडनी थी, लेफ्ट वाली किडनी ही बड़ी हो गयी थी, राईट वाली किडनी बच्ची पर थी ही नहीं.
तो सवाल यह उठता है कि यह सब बातें क्या डाक्टर को पहले नहीं पता थीं? या डाक्टर ने बिना किसी जांच के ही सीधे ऑपरेशन कर दिया है?
बात को जब आगे बढ़ता हुआ डाक्टर देखता है तो अब बच्ची के पिता से अस्पताल प्रशासन बोल रहा है कि आप 5 लाख रुपए हमसे ले लीजिये और 1 साल बाद आइये हमारे पास तब में किसी और की किडनी आपकी बच्ची की लगा दूंगा?
अब ऐसे में पूरा एम्स प्रशासन और खासकर डाक्टर पर शक होना लाजमी ही है, क्या बच्ची की किडनी बेच दी गयी है? या डाक्टर से कोई ओर बहुत बड़ी गलती हो चुकी है?
और जब लड़की को 1 साल बाद बुलाया जा रहा है तो तब कहाँ से किडनी का इंतज़ाम किया जाएगा? पवन ग़रीब है यह समझकर डाक्टर ने जरुर बहुत बड़ी लापरवाही कर दी है, जिस पर अब वह 5 लाख का लालच परिवार को दिखा रहा है
इस मुद्दे पर किसका जवाब क्या रहा-
अब ऐसे में सवाल यह बनता है कि क्या किसी अमीर की बेटी या बेटे या परिजन के साथ ऐसा होता तब भी हमारे मंत्री इसी आलस के साथ काम कर रहे होते? बेटी गरीब है तो यहाँ इनकी कोई सुनने वाला नहीं है.
बुद्ध पूर्णिमा की छुट्टी मनाई जा रही हैं और वहीँ दूसरी और एक मासूम सी 6 साल की पूर्णिमा जिन्दगी और मौत के बीच फँसी हुई है.
उम्मीद करते हैं जल्द ही आपकी बार मोदी सरकार, इस पूरे केस को खुद नजदीक से जांचेगी और मासूम बच्ची को बचाने के लिए कोई ना कोई उपाय जरुर किया जाएगा.
साथ ही अगर केस में डाक्टर ने लापरवाही की है या यहाँ बच्ची की किडनी के साथ एक योजना के तहत कोई कोई जालसाजी का मामला हुआ है, तो संबंधित लोगों पर कठोर कार्यवाही की जायेगी.
(सूचना- खबर की पुष्टि, बच्ची के पिता ने एक पत्र के माध्यम से की गयी है, सूत्रों की जानकारी को भी शामिल किया गया है एवम दिल्ली पुलिस, सभी मंत्रियों से संपर्क साधने का प्रयास भी किया गया है)
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