डॉक्टर हाथी – कहते हैं किसी के चेहरे पर मुस्कुराहट लाने से बढ़कर और कोई काम नहीं होता और जब आपकी वजह से किसी और के चेहरे पर मुस्कुराहट आती है तो ऊपर कही कोई आपसे बहुत खुश होता है और फिर आपके चेहरे की मुस्कुराहट को हमेशा बनाए रखने की वो हर मुमकिन कोशिश करता है।
अगर इस लिहाज से बात की जाए तो इंडियन टेलीविजन के पॉपुलर शो ‘तारक मेहता का उल्टा चश्मा‘ की पूरी टीम सालों से लोगो के चेहरे पर मुस्कुराहट लाने का काम कर रही है। इस शो का हर किरदार अपने आप में परफेक्ट है और ऑडियेन्स के चेहरे की मुस्कुराहट को बरकरार रखने की पूरी कोशिश करता है।
यूं तो इस शो का हर किरदार खास है लेकिन डॉक्टर हाथी की बात की कुछ और है। क्यूं सही बात है ना !
हंसराज हाथी का किरदार निभाने वाले एक्टर कवि कुमार आज़ाद का कल मुम्बई में निधन हो गया। उनके जाने से ना केवल शो की पूरी टीम, बल्कि उनके चाहने वाले भी सदमे में हैं।
अपने मज़ाकिया अंदाज़ और बेहतरीन कॉमिक टाइमिंग से डॉक्टर हाथी ने ऑडियेन्स के दिल में जो जगह बनाई हुई थी वो उनके जाने के बाद खाली हो गई है और ये खालीपन शायद ही कभी भर पाएगा। आज़ाद पिछले कुछ दिनों से बीमार थे। कल मुंबई के मीरा रोड स्थित वॉकहार्ट हॉस्पिटल में कार्डियाक अरेस्ट से उनका निधन हो गया। कवि कुमार के आकस्मिक निधन से उनके सभी को-स्टार्स सदमे में हैं। शो में डॉक्टर हाथी खाने-पीने के शौकीन डॉक्टर थे। वैसे असल ज़िदंगी में भी उन्हे खाने का शौक था।
डॉक्टर हाथी का किरदार, सभी के बीच और खासकर बच्चों के बीच काफी पॉपुलर था। वो हमेशा हंसते-हंसाते रहते थे और अपने आस-पास एक खुशनुमा माहौल बनाए रखते थे। आज़ाद को बचपन से ही एक्टिंग का शौक था और अपने ख्वाबों को हकीकत में बदलने के लिए वो मायानगरी मुंबई आए जहां काफी मेहनत के बाद उन्होने अपनी पहचान बनाई।
‘तारक मेहता का उल्टा चश्मा’ शो में आज़ाद का कैरेक्टर काफी पॉपुलर था। हमेशा हंसने और दूसरों के चेहरे पर हंसी लाने वाले आजा़द को पूरा देश याद करने वाला है। ‘तारक मेहता का उल्टा चश्मा’ के साथ वो इस कॉमेडी सीरियल के शुरू होने के एक साल बाद जुड़े थे। आज उनके परिवार वालों, दोस्तों, शो की टीम ने उन्हे नम आंखों से बिदाई दी।
आज़ाद को पहचान भले ही ‘तारक मेहता का उल्टा चश्मा’ से मिली लेकिन इससे पहले वो टीवी के साथ बड़े पर्दे पर भी नज़र आ चुके थे। वो आमिर खान की फिल्म ‘मेला’ और परेश रावल फिल्म ‘फंटूश’ में भी नज़र आए थे। आज़ाद सिर्फ एक्टर ही नहीं, बल्कि कवि भी थे। उन्हे कविता और शायरी लिखने का शौक था।
आज़ाद का यूं इस तरह चले जाना सभी के लिए एक सदमा है जिससे उबरने में बहुत वक्त लगेगा। जब भी टेलीविजन पर हम ‘तारक मेहता का उल्टा चश्मा’ शो देखेंगे तो आज़ाद ज़रूर याद आएंगे। डॉक्टर हाथी का खाने के लिए वो प्यार, हर बात पर ‘सही बात है’ कहने का अंदाज़ हम कभी नहीं भूल पाएंगे।
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