छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले में एक ऐसा वाक्य हुआ जो लोगों ने शायद ही पहले कभी सुना हो.
दरअसल, बैलाडिला के ढोलकल पर्वत शिखर पर विराजित 10-11वीं सदी की गणेश जी की इस प्रतिमा को अज्ञात लोगों ने जबकि कुछ का दावा है कि नक्सलियों ने करीब 50 फीट नीचे खाई में गिराकर क्षतिग्रस्त कर दिया था. यह बात जब डेप्युटी कलेक्टर आशीष देवांगन को पता चली तो उन्होंने उसको उसके मूल रूप में लाने का बीड़ा उठाया.
लेकिन समस्या ये थी कि गणेश जी की प्रतिमा का कान नहीं मिल रहा था. गांव वालों से लेकर प्रशासन तक हर कोई परेशान था. करे तो क्या करें. आखिर भगवान गणेश के साथ लोगों की आस्था का भी सवाल था.
गणेश जी की प्रतिमा के काफी अवशेष तो मिल गए लेकिन उनका कान नहीं मिलने के कारण प्रतिमा मूल स्वरूप में नहीं आ पा रही थी. लोगों ने बताया हो सकता है कि गणेश जी की प्रतिमा गिरने के दौरान कान छतिग्रस्त होकर पहाड़ी के नीचे गिर गया हो. इसके बाद तय हुआ कि कुछ भी हो गणेश जी का कान अवश्य खोजा जाएगा.
उसके बाद शुरू हुआ डेप्युटी कलेक्टर आशीष देवांगन के नेतृत्व में एक अभियान. डेप्युटी कलेक्टर अपने नेतृत्व में करीब 100 ग्रामीण और जवान को लेकर सुबह ही खाई में उतर गए. काफी मेहनत करने के बाद उन्हें गणेश जी का कान मिल गया.
कान मिलने के बाद गणेश जी की खंडित प्रतिमा को केमिकल ट्रीटमेंट के जरिए विशेषज्ञ ने मूल स्वरूप देने का काम शुरू कर दिया. और देखते ही देखते प्रतिमा अपने पुराने रूप में आ गई. बताया जाता है कि प्रतिमा के 95 फीसदी हिस्से के टुकड़े मिल चुके हैं.
दंतेवाड़ा कलेक्टर के मुताबिक ढोलकल गणेश जी की प्रतिमा का री-कंस्ट्रक्शन लगगभ पूरा हो गया है. अब ग्रामीणों के रीति-रिवाज के साथ इसकी पुनर्स्थापना की जाएगी. जिसके बाद ग्रामीण इसकी पूजा-अर्चना भी करेंगे.
गौरतलब है कि इस ऐतिहासिक स्थल के केंद्र और राज्य के पुरातत्व रिकॉर्ड में न होने से सुरक्षा और संरक्षण की जिम्मेदारी ग्रामीण निभाएंगे. जबकि टूरिस्ट गाइड और रास्ते में पेयजल व अन्य जरूरी सुविधाएं प्रशासन मुहैया कराएगा.
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