एच बोनिफस प्रभु
प्रभु चार साल की उम्र में ही Quadriplegic बन गए, लेकिन उनकी कड़ी मेहनत और लगन से एक Quadriplegic व्हीलचेयर टेनिस खिलाड़ी है. अब तक इनको 1998 के विश्व चैंपियनशिप में पदक और पद्म श्री पुरस्कार प्राप्त है.
इन लोगो ने अपने जीवन में विकलांगता के कारण कई चीजे झेली. लेकिन इनके बुलंद हौसले और मजबूत इरादों ने इनकी विकलांगता को कभी कमजोरी नहीं बनने दिया क्योंकि हारकर जीतना उनका मकसद था और आज ये और इनके जैसे कई लोग है जो समाज में आदर्श बन गए हैं.
हारकर जीतना – हार ना मानना भी एक जीत होती है. हार न मानने के कारण ही आज ये सब एक ऐसी ऊंचाई पर जा खड़े हुए है, जहाँ एक सामान्य इंसान भी नहीं पहुँच सकता.