मलाथी कृष्णमूर्ति होल्ला
इनकी एक वर्ष के बाद तेज बुखार होने से अल्पायु पूरी रूक गई थी फिर दो साल बाद ऊपरी शरीर में ताकत लाने के लिए नियमित रूप से सदमा इलाज चला. लेकिन फिर भी कमर से नीचे का भाग कमजोर ही रह गया. अपनी इस कमजोरी को स्वीकार करते हुए मलाथी ने खेल में ही कैरियर बनाने का सोचा और याहू कॉलेज के विभिन्न खेलों में हिस्सा लेना प्रारंभ कर दिया. पैरा – ओलंपिक के साथ और भी विभिन्न अंतरराष्ट्रीय खेल प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया. फिर याहू 200 मीटर में स्वर्ण पदक, डेनमार्क में 1989 विश्व मास्टर्स पर डाल गोली मार, डिस्कस और भाला फेंक में अपनी प्रतिभा दिखाई. आज की तारीख में उनके पास 300 से अधिक पदक, अर्जुन पुरस्कार और पद्म श्री मिल चुके है.