अलग अलग प्रकार के पड़ोसी – पहला सगा पड़ोसी, आपने भी अक्सर अपने बड़े-बुजुर्गों से या फिर टीवी और फिल्मों में ये बात सुनी ही होगी।
वैसे ये गलत भी नहीं है क्योकि कोई परेशानी आने पर, किसी तरह की ज़रूरत पड़ने पर सबसे पहले आपकी मदद करने के लिए आपके पड़ोसी ही आगे आते हैं।
यूं तो आजकल मेट्रो सिटीज़ में ये चलन बहुत ही कम हो गया है लेकिन फिर भी छोटे शहरों में अब भी ये ट्रेंड बरकरार है और वहां के लोग इसे बखूबी निभा भी रहे हैं।
आप भी अगर पड़ोसियों से घिरे हुए रहे हैं, किसी ऐसे मोहल्ले या कॉलोनी में आपका घर है जहां आपके आस-पास अलग-अलग प्रकार के पड़ोसी हैं तो यकीन मानिये आप इस आर्टिकल से ज़रूर रिलेट कर पाएंगे।
जी हां, ये आर्टिकल पूरी तरह से अलग अलग प्रकार के पड़ोसी के बारे में हैं जिसे पढ़कर आपके चेहरे पर मुस्कुराहट भी आ जाएगी और आपको अपने पड़ोसियों की याद भी आ जाएगी।
चलिए अब बिना देर किए आपको बता ही देते हैं अलग अलग प्रकार के पड़ोसी के बारे में-
हमेशा कुछ ना कुछ मांगने वाले– पड़ोसियों का ये प्रकार काफी ज्यादा दिलचस्प है और कभी ना कभी आप सभी इस तरह के पड़ोसियों से ज़रूर मिले होंगे जो कभी शक्कर तो कभी नमक, कभी प्रेस तो कभी मिक्सी मांगने आपके घर में आते ही रहते हैं। इनका अंदाज़ कुछ यूं होता है- नॉक-नॉक, थोड़ी सी अदरक मिलेगी क्या ?
आपके घर में ताक–झांक करने वाले पड़ोसी– ऐसे पड़ोसी भी सबको ही नसीब होते हैं और ना चाहते हुए भी आपको इन्हे झेलना ही पड़ता है। इनकी सबसे खास बात ये होती है कि आपके घर में क्या हो रहा है ये आपसे ज्यादा इन्हे पता होता है।
हर बात पर सवाल करने वाले पड़ोसी– बेटा कहां जा रहे हो, बेटा कहां से आ रहे हो, बेटा क्यों जा रहे हो, बेटा क्यो नहीं जा रहे हो ? कुल मिलाकर इतने सवाल जिनका ना तो कोई ओर है और ना ही कोई छोर, लेकिन फिर भी ऐसे पड़ोसी सवाल पूछना अपना जन्मसिध्द अधिकार समझते हैं।
पूरे मोहल्ले की जानकारी रखने वाले पड़ोसी– ये ऐसे पड़ोसी होते हैं जिन्हे शर्मा जी, वर्मा जी, भटनागर जी और शुक्ला जी के घर की पूरी जानकारी होती है। उनकी बहू कैसी है, बेटी क्या कर रही है, बेटा नौकरी में है या नहीं, ये सब जानते हैं।
घर आने का बहाना ढूंढने वाले पड़ोसी– ऐसे पड़ोसी भी आपने ज़रूर देखे होंगे जो सुबह की चाय भी आपके घर में पीते हैं, न्यूजपेपर भी आपका ही पढ़ते हैं और जो आपके घर में इतनी देर तक विराजमान रहते हैं कि आप भूल ही जाते हैं कि ये घर आपका है।
एलियन प्रकार के पड़ोसी– इन्हे मैने एलियन की संज्ञा इसलिए दी क्योकि असल में इनका होना या ना होना एक ही बराबर होता है। ये कब आपके पड़ोस में आते हैं और कब चले जाते हैं ये आपको भी पता नहीं चलता।
शो–ऑफ करने वाले पड़ोसी– ये ऐसे पड़ोसी होते हैं जो आपके घर तब आपते हैं जब अपनी नए साड़ी या गाड़ी दिखानी होती है और आपको अपने घर तब बुलाते हैं जब अपना नया टीवी या फ्रिज दिखाना होता है।
ये है अलग अलग प्रकार के पड़ोसी – मुझे ऐसा लगता है कि आप सब भी कभी ना कभी ऐसे पड़ोसियों से ज़रूर मिले होंगे और अगर आपके भी ऐसे पड़ोसी रहे हैं तो आपको मेरा ये आर्टिकल भी पसंद आया होगा, इसमें कोई दोराय नहीं है। अब अगर आपके चेहरे पर अपने पड़ोसियों के बारे में सोचकर मुस्कुराहट आ गई है तो इस आर्टिकल को और लोगों तक पहुंचाइए और यूं ही मुस्कुराइए।
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