युवराज सिंह के पिता योगराज सिंह का यह कहना है कि धोनी की जिद और उनके अहंकार की वजह से टीम इंडिया विश्व से बाहर हुई है.
लेकिन हम योगराज जी से पूछते हैं कि क्या यही अहंकार विश्व कप में जीत की वजह नहीं था ? लगातार 7 मैचों की जीत का श्रेय योगराज किसे देंगे?
टीम इंडिया ने इस विश्व कप में कई रिकॉर्ड बनाये हैं.
पाकिस्तान को हरा कर एक धमाकेदार शुरुआत टीम ने की थी. साउथ अफ्रीका को हरा एक कीर्तिमान धोनी की टीम ने बनाया. आज धोनी भारत के सफल कप्तानों में सबसे ऊपर आते हैं.
वैसे विश्व कप में जब तक जीत मिलती रही, भारतीय टीम के आलोचक शांत रहे और एक हार जब विश्व कप से बाहर होने की वजह बनी तो कप्तान धोनी की आलोचना खुले आम होने लगी है.
हार की कारणों में एक कारण धोनी की कप्तानी भी गिनी जा रही है, वहीँ दूसरी ओर कप्तान धोनी का टीम सलेक्शन भी हार के कारणों में गिना जा रहा है.
अभी हाल ही में युवराज सिंह के पिता ने ब्यान दिया कि धोनी ने विश्व कप टीम में युवराज, सहवाग, गंभीर और उथप्पा जैसे बल्लेबाजों को नहीं चुना था और यह फैसला गलत था. सीनियर्स खिलाड़ियों के साथ हमेशा से धोनी की ईगो प्रॉब्लम रही है.
सेमीफाइनल में ऑस्ट्रेलिया से हारने के बाद धोनी के रवैये पर हैरानी जताते हुए इन्होनें कहा कि ‘हार के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में धोनी हंस रहे थे, जब सौ करोड़ हिंदुस्तानी रो रहे थे तो धोनी हंस रहे थे, जबकि टीम की हार के बाद उन्हें दुखी होना चाहिए था. धोनी का यह रवैया दुखद है.’
योगराज सिंह को क्या भारत की हार के कारणों में क्या यही एक कारण सही लगा? आइये देखते हैं क्या-क्या मुख्य वजह थीं, सेमीफाइनल में हार की-
- भारतीय बल्लेबाज फ्लाप रहें
- गेंदबाज़ नहीं चले
- फील्डिंग बनी थी कमजोरी
और अगर किसी तरह की दिक्कत बल्लेबाजों में होनी थी तो पूरे विश्व कप में यह मुख्य समस्या क्यों नहीं दिखी?
भारत ने अपने शुरूआती 7 मैच तो बल्लेबाजों के दमख़म पर जीते थे. रोहित, शिखर धवन, रैना, धोनी और रहाने ने भी कुल मिलाकर एक अच्छी बल्लेबाजी की थी.
भारत ने सिर्फ सेमीफाइनल में ही निचले क्रम तक बल्लेबाजी की थी बाकी मैचों में निचला क्रम, बल्लेबाजी करने क्रिच पर नहीं उतरा था.
और क्या युवराज सिंह की मौजूदगी में टीम इंडिया कभी हारी नहीं है?
यहाँ तक कि जब युवराज भी कई बार हार का कारण बन चुके हैं.
वैसे भी पिछले कुछ समय से युवराज सिंह बल्लेबाज़ी में कुछ ख़ास नहीं कर पा रहे हैं. अगर ऐसा होता तो आईपीएल में इनका बल्ला खूब बोलता.
योगराज ने आगे आरोप लगाया कि धोनी को डर है कि युवराज सिंह उनकी जगह न ले लें. धोनी अपना ग्रुप बनाना चाहते हैं और धोनी अपने दम पर नहीं बल्कि टीम के दम पर मैच जीतते हैं.
कहीं ना कहीं ये आरोप अपनी व्यक्तिगत दर्द को ब्यान करते हैं. योगराज सिंह एक तरह से तानाशाह हो चुके हैं. पहले भी कपिल देव जी पर वह आरोप लगा चुके हैं कि कपिल देव ने मेरा करियर खत्म कर दिया था और आज यही युवराज के साथ हो रहा है.
लेकिन कहीं ना कहीं जल्द से जल्द योगराज और युवराज को समझना होगा कि टीम में चयन अपने खेल से भी होता है. युवराज को किसी की निंदा से ज्यादा खुद की परफॉरमेंस पर ध्यान देना चाइये.
इस तरह के ब्यान युवराज सिंह की इमेज को और खराब ही कर रहे हैं ना की युवराज की वापसी में किसी भी प्रकार की मदद कर रहे हैं.
विश्व कप में टीम इंडिया और कप्तान धोनी का प्रदर्शन काबिले तारीफ़ रहा है और इस तरह की बातें धोनी की छवि को मात्र खराब करने का ही एक मन्त्र है जो कारगर साबित होता नहीं दिख रहा है.