धीरेंद्र तिवारी – हमारे देश में आज भी कई ऐसे लोग हैं जो पढ़ाई-लिखाई करके मोटी सैलरी पर नौकरी करते हैं लेकिन कुछ ही समय बाद नौकरी से उनका मन भर जाता है और वो कुछ नया करने के लिए नौकरी तक छोड़ने को तैयार हो जाते हैं.
आज हम आपको बिहार के एक ऐसे युवक के बारे में बताने जा रहे हैं जिसने खेती करने के लिए मोटी सैलरी वाली नौकरी छोड़ दी और खेती को अपना पेशा बनाकर आज लाखों की कमाई कर रहा है.
खेती के लिए छोड़ दी अच्छी-खासी नौकरी
दरअसल बिहार के सीवान जिले में रहनेवाले धीरेंद्र तिवारी ने मैनेजमेंट और लॉ की पढ़ाई की है और वो पहले एक मल्टीनेशनल कंपनी में काम करते थे लेकिन उन्होंने अपने सपने को उड़ान देने के लिए अपनी नौकरी छोड़ दी और अपने गांव की तरफ रुख किया.
धीरेंद्र तिवारी अपनी नौकरी छोड़कर बिजनेस करने की सोच रहे थे और उनके दिमाग में खेती का आइडिया आया. धीरेंद्र तिवारी की मानें तो इस आइडिया में आदित्य ने उनका साथ दिया. माइक्रोबायोलॉजी से पढ़ाई करनेवाले आदित्य एक एनआरआई हैं और दोनों की पहचान काफी पुरानी है. इस आइडिया को आगे बढ़ाने के लिए दोनों ने मिलकर बिहार सरकार के एग्रीकल्चर टेक्नोलॉजी मैनेजमेंट एजेंसी से खुद को रजिस्टर्ड कराया.
एक एकड़ के पॉलीहाउस में शुरू की खेती
नौकरी छोड़ने के बाद धीरेंद्र ने करीब एक एकड़ में फैले पॉलीहाउस में खेती करना शुरू किया. हालांकि शुरूआती दौर में लोगों ने उन्हें काफी हल्के में लिया लेकिन इन दोनों दोस्तों ने किसी की परवाह नहीं की. बताया जाता है कि धीरेंद्र और आदित्य को इस मिशन में सीवान के एग्री एक्सपर्ट और मशरूम उत्पादन प्रशिक्षण समिति के प्रेसिडेंट बीएस वर्मा का साथ मिला.
इन दोनों ने रिटायर्ड इंजीनियर वर्मा के पॉलीहाउस में खेती करना शुरू किया. उन्होंने एक एकड़ में फैले इस पॉलीहाउस में सबसे पहले टमाटर और शिमला मिर्च की खेती की. उसके बाद दोनों ने मशरूम की खेती करना शुरू किया. फिलहाल दोनों उस पॉलीहाउस में तीन रैक बनाकर मशरूम की खेती कर रहे हैं जिससे उन्हें 10 लाख रुपये तक की कमाई की उम्मीद है.
कई लोगों को मिला रोजगार का अवसर
सीवान जिले के पिपरा गांव से संबंध रखनेवाले धीरेंद्र तिवारी की मानें तो खेती करके कमाई करने के अलावा उनका मकसद लोगों को खेती के लिए आत्मनिर्भर बनाना है.
धीरेंद्र तिवारी की मानें तो खेती करके पहले साल ही उन्हें लाखों का मुनाफा हुआ था और उनके इस कदम से कई लोगों को रोजगार का अवसर भी मिला है. बिहार के इन दो युवकों ने खेती को एक ऐसा आयाम तक पहुंचा दिया है जिससे मुनाफे के साथ-साथ लोगों की रोजी-रोटी की समस्या भी हल हो रही है.
फूड प्रोसेसिंग यूनिट लगाने की है योजना
खेती के क्षेत्र में और विकास करने को लेकर धीरेंद्र का कहना है कि भविष्य में फूड प्रोसेसिंग यूनिट लगाने की योजना है. जिसके जरिए मशरूम से बननेवाले फूड प्रोडक्ट को तैयार किया जाएगा और किसानों के साथ जुड़कर लोगों के लिए अधिक से अधिक रोजगार के अवसर मुहैया कराए जाएंगे.
गौरतलब है कि बिहार का यह युवक खेती से मुंह मोड़नेवाले लोगों का रुझान खेती की ओर बढ़ाना चाहता है ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग खेती पर आत्मनिर्भर होकर ना सिर्फ अच्छा मुनाफा कमा सकें बल्कि अपने प्रयासों से दूसरों को रोजगार के अवसर भी प्रदान कर सकें.
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