देव दीवाली – हमारे देश त्योहारों को देश है. यहा हर महीने कोई न कोई त्योहार होता ही रहता है.
दीवाली के 15 दिन बाद कार्तिक पूर्णिंमा के दिन देव दीवाली यानी देवताओं की दीवाली मनाई जाती है और इस दिन बनारस के घाटों को रोशनी से जगमगा दिया जाता है.
यूं तो आजकल देश के कई हिस्से में देव दीवाली मनाई जाने लगी है, लेकिन असली देव दीवाली तो बनारस के घाट पर ही मनाई जाती है. गंगा के किनारों पर सैकड़ों दीये जलाए जाते हैं और इस दिन विशेष आरती का ओयाजन होता है जिसे देखने दूर-दूर से लोग आते हैं. बनारस की देव दीपावली का उत्साह सबसे ज़्यादा होता है और यह लोगों को आकर्षित करती है.
ऐसी मान्यता है इस दिन भगवान शंकर ने राक्षस का वध किया था, जिससे खुश होकर सभी देवी-देवताओं ने उस दिन को स्वर्गलोक में दीपक जलाकर अपने जीत के जश्न को मनाया था. उसके बाद से देव दिवाली मनाने की परंपरा चली आ रही है. कहा जाता है इस दिन पूजा-पाठ करने से मनचाहा फल मिलता है.
पूरे कार्तिक मास को पवित्र माना जाता है. इस महीने में तुलसी जी को रोज दीपक जलाना शुभ माना जाता है तो वहीं कुछ लोग इस महीने में ब्रम्हस्नान भी करते है. जिसे करने से उन्हें अच्छे फल की प्राप्ती होती. माना जाता है कि देव दिवाली के दिन जो लोग अपना मुख पूरब दिशा की तरफ करके दान करते हैं उनकी उम्र लंबी होती है और उनके घर में सुख शांति हमेशा बनी रहती है.
खबर है इस बार देव दिवाली मनाने के लिए पहली बार राज्य सरकार 50 हजार रूपये की मंजूरी दी है. बनारस के घाट पर आयोजित होने वाली खास देव दीवाली में उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ खास मेहमान होंगे.
बनारस का हिंदू धर्म में विशेष धार्मिक महत्व हैं. हिंदुओं का पवित्र काशी विश्वनाथ मंदिर भी यहीं है. बनारस हमेशा से हिंदू संस्कृति का अहम हिस्सा रहा है.