दिल्ली के कुछ पुराने और सदाबहार खाने की जगह

अभी कुछ दिन पहले ही सभी लोग दिलवालों की दिल्ली के सौ साल पुरे होने का जश्न मना रहे थे.

लेकिन अगर हम दिल्ली की बात करें और उसके साथ उसके खाने की बात न करें तो यह एक नाइंसाफी सी हो जाएगी. जी हाँ, जब हम बात करते हैं पुरानी दिल्ली, चांदनी चौक और दरयागंज के कुछ मशहूर खाने की तो वाकई में मुह में पानी आ जाता है.

पुराने समय से ही दिल्ली भारत के नक़्शे पर एक बहुत ही अहम् हिस्सा रहा है. इसी के साथ यहाँ की कई खाने-पीने की जगह ऐसी हैं जो करीब सौ वर्ष पुरानी है. तो आइये आज आपको बताते हैं कुछ ऐसी ही ज़ायकेदार जगहों के इतिहास और उनके लज़ीज़ व्यंजनों के बारे में.

केवेन्टर्स, कोनोट प्लेस

सोचिये एक ऐसी जगह के बारे में जहां आप सभी अलग-अलग स्वाद का दूध पी सकते हैं. यहाँ का सबसे पसंदीदा फ्लेवर है बटरस्कॉच. गर्मियों में घूमते हुए यहाँ का ठंडा मिल्कशेक आपके गले को कुंठित कर देगा और आपको ताजगी से भर देगा. १९२५ में शुरू हुई यह जगह आज भी सभी लोगों के बीच लोकप्रिय है. एक अच्छी बात यह है कि यहाँ की भीड़ में आप बड़े-बुज़ुर्ग के अलावा कई युवा छात्रों को भी देखेंगें जो इस जगह का पूरा लुत्फ़ उठाते मिलेंगें.

रोशन दी कुल्फी के छोले भठूरे

करोल बाघ में जब आप खरीदारी करके थक जाएं तो याद आते हैं रोशन दी कुल्फी के छोले भठूरे. १९५४ में शुरू हुई इस जगह न एक लम्बा सफ़र तय किया है. इसी के साथ ८० के दशक में इस जगह ने पूरी तरह अपने पैर जमाए और रोशन दी कुल्फी लोगों के बीच एक बड़ा ही जाना पहचाना नाम हो गया. अगर आप जायें और होटल के बाहर लम्बी लाइन देख कर घबराईएगा मत. यहाँ के छोले भटूरे इतने लोकप्रिय हैं कि दूर-दूर से लोग इसे खाने के लिए, बाहर की लम्बी कतार से भी नहीं डरते.

घंटेवाला मिष्ठान भण्डार

सोचिये एक ऐसे मिठाई वाले के बारे में जिसने मुग़ल शासन के बादशाह से लेकर राजीव गाँधी को अपनी मिठाइयों का दीवाना बना दिया. करीब २०० वर्ष पुराना यह दिल्ली का मिष्ठान भण्डार भारत में सबसे पुराने मिठाई वालों में से एक है. यहाँ की खासियत है इनका सोहन हलवा. १७९० में, लाला सुख लाल जैन ने राजस्थान की प्रसिद्ध मिठाई मावा मिश्री से अपने सफ़र की शुरुआत की थी और आज दो शताब्दी के बाद भी इनके परिवार वाले इस धरोहर को संभाले हुए है. जब आप चांदनी चौक की सैर करने जाएं तो यहाँ जाना न भूलें.

परोंठे वाला, चांदनी चौक

दिल्ली आए और चांदनी चौक नहीं गए ये बात कुछ हजम नहीं हो सकती. देश का दिल दिल्ली और दिल्ली का दिल चांदनी चौक या दिल्ली-६. चांदनी चौक में परोंठे वाली गली के परोठे खा कर किसी का भी दिल खुश हो सकता है. १८७२ में परोंठे वाली गली में सबसे पहले गयाप्रसाद प्रसाद परोंठे वाला की दूकान लगी थी. यहाँ के कुछ परांठे बड़े ही मशहूर हैं और आपको अपनी उंगलियाँ चाटने पर मजबूर करदेंगें.

करीम होटल, दरयागंज

दरयागंज के इलाके में, दिल्ली की जामा मस्जिद के सामने आप पाएंगें १०० साल पुरानी जगह जहां का लज़ीज़ मुघलाई खाना सभी लोगों को अपनी ओर एक चुम्बक की तरह खींचता है. इस मशहूर जगह का नाम है करीम होटल जो १९१३ में शुरू हुआ था. लोग कहते हैं कि दिल्ली आकर अगर आप करीम नहीं गए तो आपकी यात्रा अधूरी सी रह गई. यहाँ की खासियत शाही कोरमा कई लोगों का दिल जीत चुकी है.

जायकेदार भोजन खाना और खिलाना हमारे देश की एक बड़ी ही प्रमुख विरासत रही है. हमारे देश के लोग इसे बड़ी ही गंभीरता से लेते हैं और ले भी क्यों न आखिर कई चीज़ों में यह एक चीज़ है जो सभी लोगों को एक दूसरे से जो

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