दूसरी कास्ट में शादी – जब बात जीवनसाथी चुनने की हो तो कोई घरवालों की नहीं अपनी पसंद से अपना पार्टनर चुनना चाहता है तो कोई अपने से ज्यादा घरवालों की पसंद पर भरोसा करता है।
आजकल वैसे अरेंज मैरिज कम और लव मैरिज ही ज्यादा होती है लेकिन फिर भी आज के युवा अरेंज मैरिज से ज्यादा दूर नहीं गए हैं और इसमें विश्वास रखते हैं।
जीवनसाथी चुनने में दिल्ली के नोग विश्व बंधुत्व के अपने आचरण के साथ न्याय करते नज़र आते हैं। जीवनसाथी तलाशने वाली सेवा प्रदाता कंपनी शादी डॉट कॉम ने दिल्ली-एनसीआर में एक सर्वे किया जिसमें उसने कुंवारों की प्राथमिकताओं पर आधारित रोचक जानकारियों का खुलासा किया है।
समुदाय के बाहर दूसरी कास्ट में शादी करना
दूसरी कास्ट में शादी – इस सर्वे में सामने आए आंकड़ों की मानें तो कुंवारे अपने धर्म में शादी करना चाहते हैं लेकिन इस मामले में उनके लिए कास्ट वगैरह कोई मायने नहीं रखती है।
आंकड़ों के अनुसार 96 पर्सेंट कुंवारे अपने धर्म में शादी करना चाहते हैं जबकि इंटरकास्ट मैरिज करने में उन्हें कोई दिक्कत नहीं है। सिर्फ 58 फीसदी कुंवारो ने कहा कि शादी के लिए वो अपनी कास्ट को प्राथमिकता देंगे जबकि 42 पर्सेंट समुदाय व्यवस्था पर विश्वास नहीं करते हैं।
दूसरे प्रोफेशन का जीवनसाथी है पसंद
हमारी संस्कृतियों में क्रमिक परिवर्तन होने और मुखरता आने से जीवनसाथी चुनने के लिए समान कार्यक्षेत्र का होना जरूरी नहीं रह गया है।
आंकड़ों की मानें तो 83 फीसदी कुंवारे दूसरे प्रोफेशन का जीवनसाथी तलाशते हैं क्योंकि इससे उन्हें अपने जीवन में कुछ नया और अलग बदलाव महसूस होता है जबकि एक ही प्रोफेशन में काम करने पर कॉम्पीटिशन जैसी परिस्थिति आ सकती है।
दूसरी कास्ट में शादी – दिल्ली के बाहर का होना चाहिए जीवनसाथी
जीवनसाथी चुनने के मामले में दिल्ली वालों की लिस्ट बहुत लंबी है।
सर्वे में सामने आया है कि लगभग 79 फीसदी लोग अपना जीवनसाथी दिल्ली से बाहर का चाहते हैं। शादी अब कोई परंपरागत मामला नहीं रह गया है। पहले और अब में शादी को लेकर लोगों की धारणाएं बहुत ज्यादा बदल चुकी हैं। सही जीवनसाथी चुनने की प्रक्रिया के चालक ने परिवार को अपने हिसाब से बदल दिया है और इसके साथ ही भविष्य के जीवनसाथी के लिए आकांक्षाएं भी बदल गई हैं।
अब तो आप समझ गए ना कि दिल्ली वाले अपने लिए पार्टनर चुनने में कितने ज्यादा चूज़ी हैं। उन्हें अब अपनी फैमिली की पसंद नहीं बल्कि अपनी पसंद का जीवनसाथी चाहिए। पहले हुआ करता था कि परिवार के लोग लड़का या लड़की के लिए जीवनसाथी चुन लेते थे और उन्हें शादी के दिन ही एक—दूसरे की शक्ल देखने को मिलती थी लेकिन अब समय बहुत ज्यादा बदल चुका है।
दूसरी कास्ट में शादी के लिए इनकार नहीं – अब लोग पहले रिलेशनशिप में रहते हैं और एक-दूसरे को समझते हैं। अगर सब कुछ ठीक रहा तो बात शादी तक पहुंच जाती है वरना ब्रेकअप कर दोनों अपने-अपने रास्ते निकल पड़ते हैं। आज शादी को लेकर यही चलन चल रहा है और इस सर्वे में भी यही बात सामने आई है कि लोगों को अब कास्ट को लेकर शादी करने में कोई हिचक नहीं है। अब वो अच्छा और अपनी पसंद का साथी चाहते हैं और कास्ट से उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता है।
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