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प्यार की अमर कहानी ! 14 साल से पत्नी के उठने का हो रहा है इंतज़ार, इस प्रेम कहानी को पढ़कर आप रो देंगे

प्यार एक एहसास होता है.

ऐसा बोला जाता है कि प्यार में पड़े इंसान को और कुछ भी नजर नहीं आता है.

प्यार से बढ़कर इस दुनिया में कुछ भी नहीं है. फिर चाहे माता-पिता से प्यार हो या अपनी औलाद से प्यार हो या पति-पत्नी का प्यार हो.प्यार होता, सच्चा है और बिना किसी शर्त के प्यार होता है.

ऐसी ही एक लव स्टोरी को हम आपके लिए खोजकर लायें हैं.

पत्नी पिछले 14 सालों से कोमा में है और बूढ़ा पति दिन-रात उसकी सेवा कर रहा है. अस्पताल वालों ने जवाब दे दिया तो कोमा में ही पत्नी को घर ले आये. उम्मीद पर दुनिया कायम है और यही उम्मीद रमेश कुमार को है. उम्मीद है कि एक दिन पत्नी कोमा से उठेगी और गले लग जाएगी. लेकिन ऐसा कब होगा किसी को नहीं पता है.

रमेश कुमार, जिनकी उम्र ही कुछ 50 के आसपास है वह कलयुग में सच्चे प्यार की कहानी लिख रहे हैं. रमेश को पता है कि अब जिन्दगी में वैसे भी कुछ ज्यादा बचा नहीं है. उम्र के जिस पढ़ाव पर वह हैं वहां से कुछ ज्यादा जीने को नहीं है. बस भगवान से यही दुआ करते हैं कि पत्नी एक बार फिर से उठ जाए. जिसके साथ इतना समय बिताया है, इनका वह प्यार एक बार फिर से उठ खड़ा हो.

वैसे ज़िन्दगी ने एक दर्द और दिया है

झुंझुनू के सिंघाना के पास गुजरवास पंचायत के पिठौल्ला मोहल्ले में रहने वाले रमेश कुमार की  ज़िन्दगी ने दोहरी मार की है. पत्नी के कोमा में जाने की वजह, उसके बच्चा ना हो पाना रहा था. जब इनकी पत्नी को पता लगा था कि वह माँ नहीं बन सकती हैं तो वह अवसाद में चली गयी थीं. अवसाद भी ऐसा कि उनको दौरे पड़ने लगे. डाक्टर ने बोल दिया कि दिमागी हालत खराब हो चुकी है.

अस्पताल में दाखिल कराया तो ईलाज के बीच में ही कोमा में चली गयी. अस्पताल प्रशासन कुछ ज्यादा कर नहीं सकता था. इसलिए पत्नी को घर ले जाकर सेवा करने के लिए बोल दिया.

गरीबी ऐसी की क्या बोलें

पत्नी की इस बीमारी के पीछे रमेश कुमार का सब कुछ खत्म हो चुका है. आज भी पत्नी बिस्तर पर है. रोज उसको ड्रिप के द्वारा खाना खिलाते हैं. उसकी सेवा करते हैं. दिन के 24 घंटे पत्नी के साथ रहना पड़ता है. बाल-बच्चे हैं नहीं, बुढ़ापे का कोई सहारा नहीं है. पड़ोसी मदद कर देते हैं इसी दम पर घर चल रहा है. कई दिन तो घर पर कुछ भी खाने को नहीं होता है लेकिन पत्नी की कुछ दवाओं के लिए पैसा जोड़कर रखना पड़ता है. खुद भूखे ही सो जाते हैं ताकि कल पत्नी को देखने आने वाले डॉक्टर की फीस दे दी जाए.

अब आप इसे सच्चा प्यार नहीं तो और क्या बोलेंगे. आज के दौर में भला ऐसा प्यार करने वाले लोग मिलते ही कहाँ है? इस तरह के लोगों को फरिश्ता ही बोला जाता है जो सच्चे प्यार की परिभाषा लिख रहे हैं.

हम सभी को दुआ करनी चाहिए कि रमेश कुमार जी का प्यार जल्द से कोमा से बाहर आये और बचे हुए दिन दोनों साथ बिता सकें.

(Photo Source – Eenadu india)

Chandra Kant S

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Chandra Kant S

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