दुनिया के कई देशों में फांसी की सजा को क्रूर बताते हुए उस पर बैन लगा दिया है, लेकिन भारत में ये अभी भी प्रतिबंधित नहीं है. हालांकि कई संगठन इस बंद करने की मांग करते रहते हैं, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने यह साफ कर दिया है कि देश में मृत्युदंड की सजा बंद नहीं होगी.
सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला देते हुए साफ कर दिया है कि भारत में मृत्युदंड की सजा जारी रहेगी. सुप्रीम कोर्ट में 2:1 से बहुमत मिलने के बाद मौत की सजा को कायम रखने का फैसला दिया गया.
न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ ने इसकी समीक्षा करने को कहा था. न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और हेमंत गुप्ता ने मौत की सजा को सही माना. जानकारी के अनुसार, छत्तीसगढ़ में ट्रिपल हत्या के आरोप में सजा पा चुके आरोपी के मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला सुनाया है. आरोपी छन्नू लाल वर्मा को कोर्ट ने मृत्युदंड की सजा सुनाई थी.
मामले की सुनवाई के दौरान आरोपी ने मौत की सजा को कम करने की मांग की थी.
इससे पहले भी सुप्रीम कोर्ट कहा चुका है कि ब्रिटेन, कई लैटिन अमेरिकी देशों और ऑस्ट्रेलियाई राज्यों से मृत्युदंड खत्म किया जाना भारत के कानून से इसे खत्म किए जाने का कोई आधार नहीं है.
निर्भया मामले में मौत की सज़ा पाए चार दोषियों में से तीन की पुनर्विचार याचिका खारिज करने वाली शीर्ष अदालत ने कहा था कि जब तक दंड संहिता में मृत्युदंड का प्रावधान है, तब तक ‘उचित मामलों’ में मौत की सजा देने के कारण अदालतों को गैर कानूनी काम करने का दोषी नहीं ठहराया जा सकता.
मृत्युदंड की सजा को एकदम खत्म कर देने से अपराधियों के मन का डर और खत्म हो जाएगा.
कुछ लोगों का मानना है कि जघन्य अपराधों के लिए मौत की सजा मिलनी ही चाहिए. निर्भया जैसे क्रूर रेप केस के अपराधियों के लिए मौत की सजा से कम और कोई सजा नहीं हो सकती.
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