देवताओं की मृत्यु – जो इंसान दुनिया में आया है उसकी मृत्य तय है ये बात तो आप जानते ही होंगे, लेकिन क्या आपको पता है कि मृत्यु से इंसान ही नहीं देवता भी नहीं बच पाए हैं.
हिंदू धर्म ग्रंथों में कुछ देवताओं की मृत्यु का जिक्र किया गया है. क्या कभी आपने सोचा की भगवान श्रीराम और कृष्ण की मौत कैसे हुई? चलिए हम बताते हैं देवताओं की मृत्यु कैसे हुई –
देवताओं की मृत्यु –
श्रीराम
धर्म ग्रंथों के अनुसार अपने भाई लक्ष्मण की मृत्यु के बाद प्रभु श्रीराम ने भी प्राण त्यागने का फैसला कर लिया. अपने सारे राज्य की जिम्मेदारी अपने बेटों को सौंपकर वो समाधि लेने के लिए सरयू नदी की ओर निकल पड़े. नदी में जाते ही श्रीराम ने विष्णुजी का रूप धारण कर लिया और वहां मौजूद सभी भक्तों को अपने वास्तिवक रूप के दर्शन दिए और कुछ ही देर के बाद वो धरती से अदृश्य होकर अपने बैकुंठ धाम चले गए.
भगवान श्रीकृष्ण
ग्रंथों के अनुसार कौरवों की माता गांधारी के श्राप की वजह श्रीकृष्ण की मृत्यु हुई. कथा के अनुसार, दुर्योधन की मृत्यु होने पर गांधारी रणभूमी पहुंचीं और बेटे का शव देख अपना आपा खो बैठीं. गांधारी का मानना था कि कृष्ण की वजह से ही उसके सभी बेटों की मौत हुई है, उनके कारण ही महाभारत का भीषण युद्ध हुआ और तमाम कौरवों की मृत्यु हुई. इसी बात से क्रोधित गांधारी ने श्रीकृष्ण को श्राप दे दिया कि उनकी मृत्यु 36 साल बाद होगी.
श्राप के ठीक 36 साल बाद तीर लगने के कारण श्रीकृष्ण ने अपने प्राण त्याग दिए. कथा के अनुसार, एक बार श्रीकृष्ण जंगल में आराम कर रहे थे तभी उनके पैर में लगी मणि, मृग नेत्र की तरह चमक रही थी. उसी समय एक शिकारी वहां आ गया और श्रीकृष्ण को मृग समझकर उन पर तीर से वार कर दिया. तीर लगते ही श्रीकृष्ण की मृत्यु हो गई.
नरसिंह भगवान
नरसिंह भगवान का अवतार केवल हिरण्यकश्यप को मारने के लिए ही हुआ था. कहते हैं हिरण्यकश्यप को मारने के बाद भी नरसिंह देवता का गुस्सा शांत नहीं हुआ और वे हर जगह तबाही मचाने लगे. ऐसे में नरसिंह देव का क्रोध शांत करने के लिए महादेव ने सरबेश्वर अवतार लिया. शिवजी के सरबेश्वर अवतार और भगवान नरसिंह के बीच 18 दिनों तक भीषण लड़ाई चली. 18वें दिन नरसिंह देव ने हार स्वीकार कर ली और अपने प्राण त्याग दिए. नरसिंह देव के हार मानने के बाद भगवान शिव अपने असली रूप में प्रकट हुए और सभी को दर्शन दिया.
हिंदू ग्रंथों में देवताओं की मृत्यु के बारे में जो किस्से है उसमें कितनी सच्चाई है ये तो पता नहीं, लेकिन बरसों से लोग इसे सच मानते आ रहे हैं, क्योंकि इसके अलावा और कोई विकल्प भी नहीं है.