जिन्ना की मौत – पाकिस्तान में कोई सरकार अपना कार्यकाल पूरा कर ले तो बहुत बड़ी बात होती है। ऐसा पहली बार हुआ है जब दो सरकारों ने बैक टू बैक अपना कार्यकाल पूरा किया है। आज हम पाकिस्तान की राजनीति को इस मुकाम तक पहुंचाने वाले जिन्ना की बात करने जा रहे हैं।
जिन्ना का दुनिया ही नहीं बल्कि पाकिस्तान को अलविदा कहना काफी दिलचस्प था।
जिन्ना की मौत वाला दिन
मौरीपुर एयरपोर्ट पर स्पेशल विमान से जिन्ना को लाया गया। वो खुद चल भी नहीं पा रहे थे इसलिए उन्हें स्ट्रैचर पर लिटाया गया था। कभी उन्हें देखने के लिए हज़ारों लोगों की भीड़ लगी रहती थी लेकिन आज एयरपोर्ट पर सन्नाटा फैला हुआ था। जिन्ना को स्ट्रैचर पर लिटाकर प्लेन से बाहर लाया गया और फिर एक मिलिट्री एंबुलेंस में लिटा दिया गया। एंबुलेंस बड़ी धीमी रफ्तार से चल रही थी और उसे कराची जाना था। धीरे इसलिए थी ताकि जिन्ना को हिचकोलों से दिक्कत ना हो। यहां से कराची आधा घंटा दूर था। आधी दूरी पर अचानक एंबुलेंस रूक गई। पता चला कि गाड़ी में पेट्रोल खत्म हो गया है।
मक्खियां भिनक रही थीं
उस समय कराची का मौसम ठंडा हुआ करता था। समुद्र से तेज हवाएं आती थी लेकिन उस दिन कुछ और ही माहौल था। हवा गायब थी और भयंकर गर्मी के बीच एंबुलेंस रूक गई थी। जिन्ना की हालत खराब होने लगी थी। वो पहले से ही बहुत बीमार थे और गर्मी ने उनका हाल और बदतर कर दिया था। मुंह पर मक्खियां भिनक रहीं थीं। दूसरी एंबुलेंस के इंतजार में एक-एक मिनट युगों की मानिंद कचोट रहा था।
मरने से पहले जिन्ना के आखिरी शब्द
जिस जगह जिन्ना की एंबुलेंस खड़ी थी वहां पर सैंकड़ों तंबू लगे थे जोकि शरणार्थियों का ठिकाना था। लंबे इंतजार के बाद एंबुलेंस को गर्वनर जनरल के बंगले पर पहुंचाया गया और वहां डॉक्टरों ने उन्हें देखा और कहा कि पहले प्लेन की यात्रा और फिर एंबुलेंस में गर्मी के सफर को जिन्ना झेल नहीं पाए। इस वजह से उनके जीने और ठीक होने की बहुत कम उम्मीद है। जिन्ना को उनकी बहनों के पास छोड़कर डॉक्टर चले गए। दो घंटे तक जिन्ना सोते रहे और जब उन्होंने आंखें खोली तो सिर को झटका देकर इशारा किया। अपने करीब बुलाया और उसके गले से फुसफुसाहट की शक्ल में आवाज़ निकाली और कहा – खुदा हाफिज़
बस इतना कहते ही जिन्ना के प्राण निकल गए। आंखें बंद हो गईं।
जिन्ना रोज़़ लगभग 50 सिगरेट पीते थे और इसकी वजह से उनके फेफडे सूख चुके थे। जिन्ना का यूं करना कोई छोटी बात नहीं थी। उनकी अभी कई जिम्मेदारियां अधूरी पड़ी थीं। वो गलत लोगों के हाथों में मुल्क को छोड़ गए थे।
इस तरह पाकिस्तान की स्थापना करने वाले जिन्ना ने दुनिया को अलविदा कह दिया। जब जिन्ना की मौत हुई तब पाकिस्तान को उनकी बहुत जरूरत थी। आज पाक की राजनीति का जो गंदा माहौल है वो ऐसा ना होता अगर जिन्ना अपनी जिम्मेदारियां पूरी कर पाते लेकिन मौत के आगे किसका बस चलता है। इतना पॉवरफुल आदमी भी मौत के आगे घुटने टेक ही देता है।
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