लाशों की अदला बदली – भारत में लोगों का वश चले तो सबकुछ बदल लें.
आपने कहीं और नहीं सुना होगा कि हॉस्पिटल में बच्चे बदल जाते हैं, लेकिन यहाँ होता ही रहता है. मंदिर के बाहर चप्पल बदल लेते हैं. मौका मिले तो मोबाइल बदल लेते हैं. शॉपिंग मॉल में कपड़े का बिल देने के बाद लोग कपड़े का बैग बदल लेते हैं. छोटी कार को बड़ी कार से बदल देते हैं.
अदला-बदली का ये खेल इस हद तक बढ़ गया है कि लोग अब हॉस्पिटल से लाशों की अदला बदली कर लेते हैं.
लाशों की अदला बदली –
हिंदी फिल्मों में कई बार दिखाया जाता है कि हॉस्पिटल से बच्चे बदल गए.
अपने भी कई बार समाचार में देखा और सुना होगा कि लोगों के बच्चे बदल जाते हैं. कई बार तो पता चल जाता है और कई बार नहीं. ये खबर है भिंड जिले की. वहां के एक परिवार के उस वक़्त होश उड़ गए जब वे लाश को बहाने की पूरी तैयारी कर चुके थे लेकिन, जब लाश का आखिरी बार चेहरा देखना चाहा तब पता चला जिसे परिजन अपना बेटा पवन समझ रहे थे दरअसल वह कोई और ही शख्स है.
अब तक अपना बेटा समझकर उसके लिए आंसू बहाने वाले परिजनों को झटका लगा कि ये क्या हो गया. कुछ पल के लिए माँ को लगा कि शायद उनका लाल जिंदा है, लेकिन घर के दूसरे लोगों ने कहा की बेटे की मौत तो हुई है. बस, लाश बदल गई है.
इस बात ने पूरे गाँव में खलबली मचा दी. घर के बड़े बुजुर्गों को एहसास हो गया कि अस्पताल में लाश की अदला-बदली हो गई है.
अस्पताल के पोस्टमार्टम हाउस के कर्मचारियों की लापरवाही के चलते 19 वर्षीय पवन की लाश एक 36 वर्षीय शख्स विशंभर से बदल दी गई. १९ साल का बेटा ३६ साल का हो गया वो भी मरने के बाद. परिजनों को बहुत गुस्सा आया और वो शहर के जिला अस्पताल पहुंचे.
इस बॉडी को लेकर जैसे ही ये लोग वहां पहुंचे जहाँ एक अन्य परिवार एक लाश ले जाने की तैयारी कर रहा था.
पवन के परिवार वालों ने अस्पताल के कर्मचारियों से बात की और कहा कि उनके बेटे की लाश बदल गई है.
कैसी किस्मत थी पवन की कि आखिरी समय में भी वो अपने परिजनों से दूर हो रहा था. शायद किस्मत को ये मंज़ूर नहीं था कि पवन को उसके परिवार से अंतिम बिदाई भी मिल सके, लेकिन पवन के परिजनों ने इसे बदल दिया. जो लाश अन्य परिवार वाले ले जा रहे थे उसका चेहरा पवन के परिवार वालों ने देखा और तब पता चला कि उनका बेटा पवन ये है.
हॉस्पिटल की इतनी बड़ी लापरवाही को क्या कहेंगे. जिस डेड बॉडी को पवन के घर वाले ले गए थे, उसके बारे में पता चला कि उसने आत्महत्या कर ली थी. पवन के मरने का कारण भी यही था. जब दोनों के परिजन हॉस्पिटल में दोनों को लेकर आये थे तब पोस्टमार्टम के दौरान लाशों की अदला बदली हो गई, चूँकि दोनों के मरने का कारण एक ही था तो रिपोर्ट इधर उधर हो गई. जिससे इतनी बड़ी समस्या खड़ी हो गई.
इस तरह की लापरवाही भला कैसे हो सकती है? इससे पता चलता है कि हॉस्पिटल में काम करने वाले कितनी संजीदगी से अपने काम को अंजाम देते हैं.
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