मां बेटी के रिश्ते – वैसे तो हर रिश्ते की अपनी एक अहमियत होती है।
मगर मां बेटी के रिश्ते की बात ही अलग है। मां अगर सबसे ज्यादा डांटती है तो पापा की डांट से बचाती भी है। मां हर बात में ‘ससुराल जाएगी तो क्या करेगी’ भी बोलती है और सारी फरमाइशें भी पूरी करती है। हर माँ की यही कोशिश रहती है कि वो अपनी बेटी को इस तरह तैयार करे कि उसे शादी के बाद कोई दिक्कत ना आए। शादी से पहले भले ही बेटियां इस सीख को हल्के में लेती हों, लेकिन शादी के बाद उन्हें मां की ही सीख याद आती है।
किसी लड़की को चाहे कितना भी अच्छा ससुराल मिल जाए। वो भले ही अपने परिवार में रम जाए। मगर अपने मायके को वो कभी नहीं भूल पाती। चूंकि वो एक पत्नी, बहू और मां का किरदार भी निभाती है, इसलिए उसे सबसे ज्यादा अपनी मां ही याद आती है। ऐसे कुछ मौके होते हैं, जब वो बस झट से अपनी मां के पास पहुंचकर उसे गले लगा लेना चाहती है।
आइए आज करते हैं, मां बेटी के रिश्ते पर बात।
मां बेटी के रिश्ते –
लड़की भले ही इतना स्वादिष्ट खाना बनाने लगी हो कि सभी उंगलियां चाट-चाट कर खाते हों। मगर उसे तो रह-रहकर अपने मां के हाथों का स्वाद ही याद आता है। पहले जिस चीज को खाने के नखरे होते हैं, ससुराल जाने के बाद वो भी बहुत याद आती है।
शादी के पहले जब मां आधे घंटे के लिए भी बाहर जा रही हो तो एक-दो बार बिटिया का फ़ोन चला ही जाता है। क्योंकि उसे कुछ सामान नहीं मिल रहा होता। मगर शादी के बाद तो बिटिया को खुद ही मथापच्ची करके खोया सामान ढूंढना पड़ता है। तब उसे अहसास होता है कि मां होती तो कितना अच्छा होता।
बीमार पड़ने पर तो बड़े-बड़ों को मां याद आ जाती है। पहले तो मां इतनी सेवा करती थी कि कब बीमारी ठीक हो गई पता ही नहीं चलता था। मगर शादी के बाद तो आधी तकलीफ मन में ही रखनी पड़ती है। बुखार में तपते हुए जब रात में नींद नहीं आती है तो लगता है कि बस मां आ जाए और गोद में सिर रखकर सुला दे।
शादी के बाद अलार्म सुबह 6-7 बजे ही चीख-चीखकर उठा देता है। पहले जब मां होती थी तो उसकी आवाज से नींद खुलती थी। तब मां पर गुस्सा आता था। मगर अब समझ आता है कि वो आवाज कितनी मधुर थी। मां से 5 मिनट बोलकर आधे घंटे सो जाने का सुकून ही कुछ और था।
मां से तो हमेशा ही जिद करके कुछ भी बनवा लेते हैं। जब मन आए मां को शॉपिंग पर ले जा सकते हैं और उससे सारी बातें भी तो कर सकते हैं। शादी के बाद बिटिया का कितने ही मौकों पर ऐसा करने का मन होता है, मगर वो कर नहीं सकती। इसलिए जब मायके जाती है तो दिल खोलकर फरमाइशें कर लेती है।
शादी के बाद परिपक्व बनकर कई सारी जिम्मेदारियां संभालनी पड़ती है। घर में किराना से लेकर साग-सब्जी का बंदोबस्त, परिवार के सदस्यों का ध्यान रखना, मेहमानों की आवभगत करना, फैमिली फंक्शन्स में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेना, ये सब करने में अक्सर ही लड़कियां चिढ़ जाती हैं। फिर उन्हें याद आता है कि मां तो हमेशा से ही बिना शिकायत ये सब करती रही है।
हर दिन खुशनुमा नहीं होता। कभी-कभी कोई बात या घटना मन को उदास कर देती है। ऐसे में एक बेटी मां के गले लगकर रोना चाहती है या उसकी गोद में सिर रखकर सबकुछ कह देना चाहती है। लेकिन शादी के बाद ऐसा करना मुश्किल होता है। हालांकि फ़ोन पर बात कर थोड़ी तसल्ली हो जाती है।
ऐसे है मां बेटी के रिश्ते – यदि आपकी शादी हो चुकी है तो आपको भी इन मौकों पर अपनी मां की याद जरूर आती होगी। वैसे आजकल तो तकनीकी का जमाना है। इसलिए मां को फोन घुमाकर अपना दिल हल्का करने में देर न करें।
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