जीवन शैली

हां मेरा रंग सांवला है पर क्या ये मेरी गलती है !

सांवला रंग – अरे तुम फेयरनेस क्रीम लगाया करो, हल्के रंग के कपड़े पहनो, बेसन का उपटन लगाओ, शादी में दिक्कत आएगी इस तरह की बातें मैं अक्सर सुना करती हूं, गलती सिर्फ इतनी हैं कि इस दुनिया के सुन्दरता के जो पैमाने बनाए है उनमें मैं फिट नहीं बैठती, मेरा रंग सुन्दरता के इन मानकों के आगे हमेशा बौना पड़ जाता है।

बचपन से ही कभी मुझे तो कभी मेरी मां को अक्सर ये नसीहतें दी जाती थी कि किस तरह मेरे सांवले रंग को दूर किया जा सकता है और इस सांवले रंग की वजह से मेरी ज़िदंगी में क्या दिक्कते आ सकती है, ये भी अक्सर आस-पड़ोस की आंटिया तो कभी रिश्तेदार बता दी देते थे।

उस वक्त समझ नहीं थी तो इन बातों का मतलब ठीक तरह से नहीं समझ पाती थी लेकिन मेरे भोले मन में ये बात तो गहराई तक समा थी कि सांवला होना शायद अच्छी बात नहीं होती, शायद ये कोई ग़लती है जो मैने कर दी है।

धीरे-धीरे जब बड़ी होती गई तो टीवी पर आते फेयरनेस क्रीम के एड ने भी मुझे यही बताया कि जब तक किसी लड़की का रंग गोरा ना हो तब तक ना तो वो कामयाबी पा सकती है और ना ही अपना प्यार। जब भी मेरे आगे कोई किसी दूसरी लड़की की तारीफ करता तो शायद मैं खुद ही ये मान लेती कि मैं तो कभी खूबसूरत लग ही नहीं सकती, आखिर मेरा रंग जो काला है।

उम्र बढ़ती रही लेकिन समाज का दायरा वही रहा, जिसमें मेरी पहचान एक सांवली लड़की के रूप में थी। मैं उड़ना चाहती थी, आगे बढ़ना चाहती थी, खुद को साबित करना चाहती थी, अपनी पहचान बनाना चाहती थी लेकिन अब इस सब से ऊपर मेरी चाहत थी कि कोई एक बार मेरे रंग को परे रखकर मुझे भी खूबसूरत कहे, मुझे देखकर गोरे होने के तरीके ना बताए बल्कि मैं जैसी हूं, वैसी ही अच्छी हूं इतनी सी बात कह दे पर अफसोस इस समाज में एक खूबसूरत सांवली लड़की की कोई जगह ही नहीं थी।

खैर, मैं इस इतंज़ार में थी कि एक दिन मेरी ज़िदंगी में भी मेरा प्यार दस्तक देगा, वो लड़का आएगा जिसे मुझे मेरे रंग से नहीं, बल्कि मेरे संग से फर्क पड़ेगा और फिर उसका हाथ थाम कर मैं वो सारे दर्द भूल जाउंगी जो आज तक इस रंग की वजह से मुझे मिले हैं पर अपने ख्वाबों में खोकर शायद मैं ये भूल गई थी कि वो लड़का भी इसी समाज का एक हिस्सा होगा।

और फिर इस बात का एहसास मुझे तब हुआ जब शादी के लिए एक परिवार मुझे देखने आया लेकिन उनकी बातों में इस बात की साफ झलक दिखी कि मुझसे रिश्ता जोड़कर वो मुझपर कोई एहसान कर रहे हैं।

हद तो तब हुई जब साफ शब्दों में उन्होने मेरे घरवालों से मुझसे शादी करने के बदले बड़ी रकम की डिमांड रख दी और वो भी बिना झिझके, पर शायद उस दिन मैने अपने लिए खड़े होना सीखा, शायद बचपन से लेकर अब तक मेरे दिल में भरा गुबार निकल पड़ा और मैने चीखते हुआ कहा ”हां मेरा रंग सांवला है और इसमें मेरी या किसी की कोई गलती नहीं है, शायद आपके दुनिया के बनाए गए सुन्दरता के मानकों पर मैं खरी नहीं उतरती पर अब मुझे उससे कोई फर्क नहीं पड़ता”

दोस्तों, सांवला रंग किसी भी व्यक्ति की सुन्दरता का पैमाना नहीं हो सकता इसलिए अपना नज़रिया बदलिए।

Deepika Bhatnagar

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