भारत कितना अजीब है.
अकसर यहाँ हम उन लोगों को बहुत इज्जत और सत्कार देते हैं जो अपने देश को ही बर्बाद करने की सोच रहे होते हैं. अब आप यह न समझे कि हम यहाँ यह बात मजाक में या सिर्फ हवा में कर रहे हैं. जी नहीं ऐसा बिलकुल नहीं है.
आप जितने भी सबूत मागेंगे हम आपको प्रोवाइड करवा सकते हैं.
ऐसा ही एक वाक्या है जब भारत पर अंग्रेजों का कब्ज़ा होना बस शुरू ही हुआ था. तब भारत का पहला गवर्नर भारत आया था और वह खुलेआम बोलता है कि मैं भारत में ऐसी आग लगाऊंगा, जिसे गंगा का पानी भी नहीं बुझा पायेगा.
आप अनुमान लगायें कि यह व्यक्ति कितना खतरनाक रहा होगा जो यह बात बोल रहा है कि मैं देश में आग लगाऊंगा.
आज तक हम भारतीय इसी आग में जल रहे हैं. धर्म के आधार पर , जाति के आधार पर , दंगों के नाम पर तो वहीँ बंटवारे के नाम पर हम इसी आग में जल रहे हैं.
आखिर कौन था वह जिसने ऐसा जहर उगला था?
लार्ड क्लाइव को भारत में अंग्रेजी शासन का जन्मदाता माना जाता है. ईस्ट इंडिया कम्पनी ने क्लाइव को 1757 में बंगाल का गवर्नर नियुक्त किया था. क्लाइव ईस्ट इंडिया कम्पनी द्वारा भारत में नियुक्त होने वाला प्रथम गवर्नर था. 1757 में क्लाइव के नेतृत्व में प्लासी का युद्ध लड़ा गया, जिसने भारत में अंग्रेजी शासन की स्थापना के द्वार खोल दिये.
बंगाल के गवर्नर के रूप में क्लाइव ने अपने दूसरे कार्यकाल में बरार के युद्ध के बाद, मुग़ल सम्राट शाह आलम द्वितीय से संधि की. 1764 में बक्सर के ऐतिहासिक युद्ध के समय वन्सिटार्ट (1760-1765) बंगाल का गवर्नर था. इलाहाबाद की संधि के बाद क्लाइव ने बंगाल में ‘द्वैध शासन’ की नींव रखी. क्लाइव के बाद, द्वैध शासन के दौरान वेरेल्स्ट (1767-1769) और कार्टियर (1769-1772) बंगाल के गवर्नर रहे. द्वैध शासन के दौरान क्लाइव ने कंपनी के अधिकारीयों में व्याप्त भ्रष्टाचार दूर करने के लिए ‘सोसाइटी ऑफ़ ट्रेड’ की स्थापना की.
“भारतीय इतिहास और तारीख पुस्तक से साभार”
अब यहाँ सवाल यह है कि जब इस व्यक्ति के विचार इतने खतरनाक थे तो आखिर कैसे इतिहास की पुस्तकों में उसे इतना महान बताया गया है. ऊपर लिखित बातें और लार्ड के आभार से भरी बातें हमारा इतिहास कहता है. लेकिन सत्य बात यह है कि इस व्यक्ति के अपने परिजनों को भेजे इस प्रकार के खत भी हैं जहाँ यह साफ़ तौर पर भारत की बुराई कर रहा है.
आज हर भारतीय को जवाब देने की जरूरत है
लार्ड क्लाइव के इस ब्यान के बाद कि गंगा का पानी भी उस आग को नहीं बुझा पायेगा, आज हर भारतीय को एक जवाब देने की आवश्यकता है.
यह जवाब होना चाहिए कि अगर गंगा का पानी वह आग नहीं बुझा पायेगा तो हम अपने खून से यह आग बुझा देंगे लेकिन अब भारत के टुकड़े नहीं होने देंगे.
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