ऐसा नहीं है कि रंजीत सिंह का मामला ऐसा पहला मामला है या फिर ये आखिरी मामला होगा.
इस तरह के ना जाने कितने ही मामले ना जाने कब से चल रहे है. पुराने ज़माने से लेकर विश्वयुद्ध और शीतयुद्ध तक इस तरह के हथकंडे अपनाए जाते रहे है. ये एक ऐसा हथियार है जिसकी चोट तब तक पता नहीं चलती जब तक कि शिकार पूरी तरह बेबस ना हो जाए.
दुनियाभर की गुप्तचर संस्थाएं बड़े बड़े सैन्य अधिकारीयों से लेकर राजनेताओं तक से सुरक्षा सम्बन्धी राज़ पता करने के लिए खुबसुरत हसीनाओं और उनकी मोहक अदा और उनके जिस्म का सहारा लेते है.