तिब्बती धर्मगुरू दलाई लामा – भारत-पाकिस्तान का बंटवारा एक ऐसा दर्दनाक दौर जिसे याद करते ही रूह कांप जाती है, लाखों लोग बेखर हुए.
महिलाओं की इज्जत लूटी गई, बड़े पैमाने पर कत्लेआम हुआ. बंटवारे के दर्द की टीस आज भी दोनों देश के लोगों के दिलों में है.
कुछ के रिश्तेदार सीमा के उस पार हैं तो कुछ के इस पार. इतिहास के इस दर्दनाक बंटवारे के लिए कुछ लोग मोहम्मद अली जिन्ना को जिम्मेदार मानते हैं तो कुछ नेहरू को.
अब तिब्बती धर्मगुरू दलाई लामा ने भी नेहरू का नाम लेकर एक बार फिर इस मुद्दे को गर्मा दिया है.
तिब्बती धर्मगुरू दलाई लामा के एक बयान के बाद भारत-पाकिस्तान के बंटवारे पर सियासत फिर गर्मा गई है. गोवा में एक कॉलेज के कार्यक्रम में दलाई लामा ने देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की ज़िद को भारत पाकिस्तान के बंटवारे की वजह बताया. वह गोवा की राजधानी पणजी में कॉलेज के छात्रों को संबोधित कर रहे थे, उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री का पद जिन्ना को सौंपना चाहते थे लेकिन पंडित नेहरू ऐसा नहीं चाहते थे.
महात्मा गांधी के फैसले की अनदेखी ही भारत-पाकिस्तान के बंटवारे की वजह बनी.
इतना ही नहीं दलाई लामा ने भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को आत्मकेंद्रित इंसान बताया.
तिब्बती धर्मगुरू दलाई लामा ने कहा, “जवाहर लाल नेहरू देश के पहले प्रधानमंत्री बनना चाहते थे. अगर जिन्ना को PM बनाने की महात्मा गांधी की इच्छा मान ली जाती तो देश दो टुकड़ों में नहीं बंटता.”
दलाई लामा के बयान पर बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने भी सहमति जताते हुए कहा कि गांधी जी का नेहरू के बारे में विचार ये था कि वो एक आत्मकेंद्रित व्यक्ति हैं. गांधी जी इस बात को जानते थे कि जवाहर लाल नेहरू देश से ज्यादा अपने बारे में सोचते हैं. इससे पहले जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारुख अब्बुदला भी कह चुके हैं कि ‘जिन्ना नहीं चाहते थे कि मुस्लिमों के लिए अलग से देश बने. मोहम्मद अली जिन्ना सिर्फ उस कमीशन को बनाने के पक्ष में थे, जिसमें मुस्लिमों, सिखो और अन्य अल्पसंख्यकों के विशेष अधिकार देने की बात कही गई थी. लेकिन भारतीय नेताओं जवाहर लाल नेहरू, मौलाना आजाद और सरदार पटेल ने इस कमीशन की शर्तों को मानने से इनकार कर दिया था.’
बीजेपी जहां तिब्बती धर्मगुरू दलाई लामा के बयान का समर्थन कर रही हैं, वहीं कांग्रेस उनके बयान से जाहिर है खफा ही होगी. कांग्रेस का कहना है कि दलाई लामा के बयान की पीछे कहीं न कहीं प्रधानमंत्री की चाल है. चुनावी समय में ऐसे बयान से कांग्रेस की मुश्किल बढ़ सकती है.
बंटवारा के लिए जिम्मेदार चाहे जो हो, मगर सच तो ये है कि इसका सबसे ज़्यादा दर्द आम लोगों ने झेला जिनका राजनीति से कोई लेना-देना नहीं था.