भारत का शापित कोहिनूर – भारत के सबसे कीमती रत्नों में से एक है कोहिनूर जिसे गुलामी के दौरान ब्रिटिश भारत से ले गए थे। कहा जाता है कि स्वयं भगवान कृष्ण ने इस मणि को जामवंत से लिया था।
कहते हैं कि कोहिनूर की चमक से कई राजाओं के वंश का अंत ही हो गया था। माना जाता है कि ये हीरा शापित है और वो भी 13वीं शताब्दी से। इस हीरे को 1306 में पहचान मिली थी जब इसको पहनने वाले एक शख्स ने लिखा था कि यह हीरा शापित है और जो भी इसे पहनेगा वो दुनिया पर तो राज करेगा लेकिन साथ ही उसका दुर्भाग्य भी शुरु हो जाएगा।
तो चलिए जानते हैं कि भारत का शापित कोहिनूर किस-किस की बर्बादी का कारण बना ।
भारत का शापित कोहिनूर –
काकतीय वंश
14वीं शताब्दी में यह हीरा काकतीय वंश के पास था और इसी के साथ 1083 से काकतीय वंश के बुरे दिन शुरु हो गए थे। 1323 में एक युद्ध के दौरान काकतीय वंश का अंत हो गया था।
मुगल सल्तनत
काकतीय वंश के बाद कोहिनूर हीरा 1325 से 1351 तक मुहम्मद बिन तुगलक के पास रहा था और 16वीं शताब्दी के दौरान कई राजाओं के पास रहा लेकिन मुगल सलतनत के सभी राजाओं का इस कोहिनूर के कारण दुखद अंत हुआ। शाहजहां ने कोहिनूर को अपने मयूर सिंहासन में जड़वाया था लेकिन इसके बाद ही उन पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा था।
नादिर शांह की मौत
1739 में फारसी शासक नादिर शाह ने मुगलों पर आक्रमण कर कोहिनूर को भी अपने कब्जे में कर लिया था। नादिर कोहिनूर को अपने साथ पर्शिया ले गया था। उसी ने इस हीरे का नाम कोहिनूर रखा था। 1747 में नादिर शाही की हत्या कर दी गई।
भारत वापिस लौटा कोहिनूर
भारत वापिस लौटने पर कोहिनूर कई राजाओं और बादशाहों के पास रहा लेकिन दुखद बात तो ये थी कि ये जिसके पास भी गया उसकी मौत का कारण बन गया।
ब्रिटिश साम्राज्य का अंत
1850 तक ब्रिटेन आधी से ज्यादा दुनिया पर राज कर रहा था लेकिन कोहिनूर ले जाने के बाद एक-एक करके उसके अधीनस्थ सारे देश आज़ाद हो गए थे।
इस तरह से भारत का शापित कोहिनूर जहाँ भी गया उन लोगों की बरबादी का कारण बना था –