महिलाओं के नाम पर गालियां – गालियों को अभद्र भाषा की श्रेणी में रखा जाता है।
जब कभी भी किसी को गुस्सा आता है तो वो सामने वाले को गालियां देकर अपनी भड़ास निकालता है। देश के अलग-अलग इलाकों में गालियों को तरीका बदल जाता है लेकिन भाषा नहीं बदलती।
आपने भी शायद कभी गौर किया होगा कि ज्यादातर गालियां औरतों के नाम पर बनी हैं लेकिन क्या आपने कभी ये सोचा है कि आखिरकार महिलाओं के नाम पर गालियां क्यों बनाई गईं हैं। गालियों की भाषा में औरत, उसके शरीर या उसके रिश्ते का इस्तेमाल होता है। कभी हिंसा में तो कभी सेक्शुअल तंज के साथ लोग गालियां देते हैं।
इन गालियों को प्रयाग अब लोग इतना ज्यादा करने लगे हैं कि अब तो ये हमारी आम बोलचाल का हिस्सा बन गईं हैं।
गाली भी एक तरीके से औरतों को मर्दों के आगे दूसरा दर्जा देती हैं और कई औरतों को ये बात बहुत परेशान करती है।
इसी बात को जानने के लिए कुछ लोगों ने महिलाओं के नाम पर गालियां बनने पर अपने विचार रखे।
आइए एक नज़र डालते हैं महिलाओं के नाम पर गालियां और इस विषय पर लोगों की क्या राय है..
महिलाओं के नाम पर गालियां बनने के मुद्दे पर सोनिया का कहना है कि ऐसे मुद्दों पर औरतों की सोच को तरजीह नहीं दी जाती है। अहमियत तो छोडिए, आम धारणा ये है कि ऐसी इच्छाएं सिर्फ मर्दों में होती हैं।
वहीं इस विषय पर एक अन्य महिला ने अपना विचार रखते हुए कहा कि ‘महिलाओं पर गालियां बनना, समाज का एक अलग आईना दिखाती हैं। इसे बदलने के लिए समाज को अपने गलत नज़रिए का चश्मा उतारना चाहिए। लोग कितना बदल पाएंगें ये तो नहीं कहा जा सकता लेकिन शायद औरतों की के मन में दबी कुढन इसे रोकने से कम हो जाए।
जी हां, कहीं ना कहीं ये बात सच है कि औरतों पर बनी गालियां हमारे समाज के काले सच को उजागर करती हैं जहां आज भी किसी को नीचा दिखाने के लिए औरतों का इस्तेमाल किया जाता है। अगर आपकी किसी के साथ लड़ाई हो जाती है और आप उसे नीचा दिखाना चाहते हैं या अपने मन की भड़ास निकालना चाहते हैं तो उन्हें गालियां देते हैं वो भी मां..बहन..की।
इससे पता चलता है कि औरतों का आज भी इस्तेमाल हो रहा है। फिल्म रा वन में करीना कपूर ने कहा भी था कि ये सारी गालियां औरतों पर ही क्यों होती हैं.. बस तभी से इस मुद्दे ने जोर पकड़ा हुआ है। भले ही फिल्म में करीना के डायलॉग को लोगों ने मज़ाक में लिया हो लेकिन ये बात थी बिलकुल सच। आप और हम कहीं ना कहीं इस बात से सहमत हैं कि औरतों पर गालियां बनना गलत बात है, इससे औरतों की गरिमा की महिमा को हानि पहुंचती है।
इसलिए महिलाओं के नाम पर गालियां दी जाती है – वैसे तो कुछ कहना ही बेकार है क्योंकि जिस देश और समाज में महिलाओं का रेप होता है और गुनहगारों को सज़ा तक नहीं दी जाती है वहां पर गालियों को लेकर क्या किया जाएगा। ये सब मानसिकता का खेल है। अगर आप और हम मिलकर इस बदलाव को लेकर सीरियस होकर कुछ करेंगें तो शायद कुछ बदलाव आ सके।