इतिहास

किसने, क्या और क्यों दिया था माता सीता को श्राप ?

किसने, क्या और क्यों दिया था माता सीता को श्राप ?

सीता को श्राप – संसार के हर धर्म में बुरे कर्मों की सजा भुगतने का प्रावधान है.

सनातन काल से ही चला आया है कि बुरे कर्मों का बुरा फल हमें भुगतना ही पड़ता है, चाहे वह इंसान हो या फिर खुद ईश्वर ही क्यों ना हो.

इसका एक उदाहरण है माता सीता. हम मे से बहुत ही कम लोगों को ये पता है कि माता सीता को एक गर्भवती ने श्राप दिया था. जिसकी वजह से सीता को सहना पड़ा राम का वियोग. सवाल ये है कि आखिर किस गर्भवती को तड़पाया था माता सीता ने? और माता सीता को उस की क्या सजा भुगतनी पड़ी थी?

तो चलिए हम आपको बताते हैं कि आखिर किस गर्भवती ने क्या और क्यों दिया था माता सीता को श्राप?

कहते हैं एक बार बाल्यावस्था में माता सीता अपनी सहेलियों के साथ बगीचे में खेल रहीं थी और उसी बगीचे के एक पेड़ पर तोते का एक जोड़ा बैठा था. दोनों आपस में माता सीता और भगवान राम की बात कर रहे थे. जिसे सुन माता सीता का ध्यान उस तरफ आकर्षित हुआ. कन्या सीता उनकी बातों को ध्यान से सुनने लगी. मादा तोता यह बोल रही थी कि “इस संसार में राम नाम का एक बड़ा प्रतापी राजा होगा और राम की शादी बहुत ही खूबसूरत पत्नी सीता से होगी” यह बात सुन सीता की उत्सुकता काफी बढ़ गई. इसलिए कन्या सीता ने उन तोतों को पकड़वा लिया और सीता उनसे अपने और राम के बारे में पूछने लगी.

उन्होंने तोते से पूछा कि तुम्हें ये सब कहां से पता चला ? तब तोते ने कहा उन्होंने यह बात महर्षि वाल्मीकि के मुख से उनके आश्रम में शिष्यों को पढ़ाते वक्त सुना.

सीता जी ने तोते से राम के बारे में और भी बात जानने की जिज्ञासा व्यक्त की और कहा कि “तुम जिस सीता की बात कर रही हो, वह जनक पुत्री सीता मैं ही हूं. मैं चाहती हूं कि तुम आज से मेरे साथ रहो, मेरी सहेली बनकर और मेरे और राम के बारे में मुझे बताती रहो…”

तब नर तोते ने सीता से कहा “हे सीते हम आपके साथ आपके महल में नहीं रह सकते. हम पक्षी हैं, हमें उन्मुक्त गगन में रहना पसंद आता है.” इसके बावजूद सीता ने जिद करते हुए तोते से कहा कि “जब तक मेरा विवाह राम से नहीं हो जाता, तुम्हें मेरे साथ रहना होगा…”

सीता की इस जिद पर तोते ने सीता से काफी याचना की फिर भी सीता नहीं मानी.

नर तोते को आजाद करते हुए कहा कि “तुम खुशी-खुशी जा सकते हो, लेकिन मादा तोता मेरे साथ रहेगी.”

इस पर नर तोते ने सीता से कहा “हे सीते मेरी पत्नी गर्भ से है. मैं इसका वियोग नहीं सह पाऊंगा. आप इसे छोड़ दो…” तोता के बहुत गिड़गिड़ाने के बावजूद माता सीता ने उनकी एक भी नहीं सुनी और उन्हें छोड़ने से मना कर दिया.

इस पर मादा तोता को बहुत गुस्सा आया.

…और मादा तोते ने सीता को श्राप देते हुए कहा : -“जैसे तुम मुझे मेरे पति से मेरी गर्भावस्था में दूर कर रही हो, उसी प्रकार तुझे भी अपनी गर्भावस्था में अपने पति राम का वियोग सहना पड़ेगा” इतना कहते ही मादा तोते ने तुरंत अपनी प्राण त्याग दिए.

इसके कुछ समय बाद पत्नी के वियोग में व्यथित नर तोते ने भी प्राण त्याग दिए.

और इसी गर्भवती तोते की श्राप की वजह से माता सीता को गर्भावस्था मे राम का वियोग सहना पड़ा था.

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