इतिहास

इन्सान को सज़ा देने के ये क्रूर तरीके देखकर आपकी रूह कांप उठेगी !

सज़ा देने के ये क्रूर तरीके – आज के दौर में किसी अपराधी को सजा देना और उसे सजा के तौर पर फांसी पर लटकाना शायद सबसे क्रूर माना जाता है।

लेकिन क्या आप जानते है? 15वीं शताब्दी से पहले का दौर अपनी क्रूरता और गुलामी के लिए याद किया जाता है।

इस दौर में न तो कोई नियम होते थे और ना ही कोई कानून बस कुछ अमीर लोगो के बनाये नियम होते थे, इस समय गरीबी चरम पर थी और लोग कुछ रईस जमीदारों के यहां गुलामी कर रहे थे। अगर क्राइम करने वाले के पास जुर्माना भरने के लिए पैसे नहीं हैं, तो इसके बदले उनके हाथ, जीभ या होंठ काट दिए जाते थे।

मध्यकाल में टॉर्चर के ऐसे ही एक से बढ़कर एक खतरनाक तरीके होते थे जिससे की रूह कांप जाये। आप भी जानिए उन क्रूर तरीको को जिससे उस समय सजा दी जाती थी।

सज़ा देने के ये क्रूर तरीके –

1 – धारदार लकड़ी पर बिठाया जाता था-

इसमें क्राइम करने वाले को नेकेड कर के घोड़े जैसे स्ट्रक्चर पर बैठा दिया जाता था। इसके साथ ही दोनों पैरों में वजन लटका दिया जाता था, जो उसे नीचे की ओर खींचती रहती थी। इससे अपराधी का शरीर दो आधे-आधे हिस्से में बंट जाता था। और धीरे-धीरे खून रिसता रहता था जिससे उसकी तड़प-तड़प कर मौत हो जाती थी.

2 – शरीर को एक धारदार हथियार से बीच में से काट दिया जाता था-

इसमें क्राइम करने वाले को पैरों से बांधकर उल्टा लटका दिया जाता था। ऐसे में खून सिर के हिस्से में उतर जाता है और इसके चलते कैदी यातना दिए जाने के दौरान होश में रहता है। इसके बाद बंधक के शरीर को दोनों पैरो के बीच से काट दिया जाता है।

3 – कील वाली कुर्सी पर बांध दिया जाते थे लोग-

टॉर्चर का ये तरीका 1800 तक यूरोप में इस्तेमाल किया गया। ‘जुदास चेयर’ काल कोठरी का हिस्सा हुआ करती थी। इस कुर्सी के हर हिस्से पर लोहे की कीलों की लेयर होती थी। इस पर अपराधी को बांध दिया जाता है। और इस तरह उसके शरीर में कीले बुरी तरह चुभ जाती थी और खून बहने से कैदी की मौत हो जाती थी।

4 – चक्के पर बांध कर तोड़ी जाती थीं हड्डियां-

टॉर्चर का ये क्रूर तरीका मध्यकाल में इस्तेमाल किया गया। इसका सार्वजनिक तौर पर मौत की सजा के लिए इस्तेमाल किया जाता था। चक्के पर कैदी को लिटाकर बांध दिया जाता था और उसे घुमाया जाता था जिससे उसकी हड्डियाँ टूट जाती थी और जब तक जान नहीं चली जाती थी तब तक चक्का घूमता रहता था। वैसे इस क्रूर तरीके से जर्मनी में 19 वीं शताब्दी तक सजा दी जाती थी।

5 – धारदार डिवाइस से अलग कर देते थे सिर-

मौत की सजा देने का ये बेहद ही खतरनाक तरीका था। गिलोटिन नाम की धारदार डिवाइस में फ्रेम के बीच रेजर से भी तेज ब्लेड लगा होता था। फ्रेम के बीच कैदी का सिर रखा जाता है और ब्लेड नीचे गिरते ही सिर धड़ से अलग हो जाता है। हालांकि, ये तरीका टॉर्चर के बाकी तरीकों से कम दर्दनाक है।

6 – गर्दन को कांटेदार फ्रेम से बांधा जाता था-

सजा का ये तरीका बहुत ही दर्दनाक होता था। इसमें कैदी को लकड़ी या मेटल से बने नुकीले कांटेदार फ्रेम के बीच बांध दिया जाता था। इसमें न तो वो सिर जमीन पर टिका सकता था और न ही खा-पी सकता था। यहां तक कि इसमें सिर हिलाना भी मुश्किल था।

7 – नुकीले खम्भे पर बैठाए जाते थे कैदी-

सजा का ये तरीका 15वीं शताब्दी में रोमानिया में बहुत इस्तेमाल किया जाता था। इसमें एक नुकीले पोल पर कैदी को बैठाया जाता था। धीरे-धीरे ये उसके शरीर में घुसता जाता था और दो से तीन दिन में कैदी की दर्दनाक मौत हो जाती थी।

ये है इंसानों को सज़ा देने के ये क्रूर तरीके – सज़ा देने के ये क्रूर तरीके जिनका इस्तेमाल 15 वी शताब्दी से पहले तक किया जाता था. ये इतने दर्दनाक होते थे कि अपराधियों की रूह काँप जाती थी। आज भले ही हमें फांसी की सजा सबसे खौफनाक नजर आती है लेकिन उस समय के इन तरीकों से फांसी की सजा कही कम दर्दनाक मानी जाती है।

Sudheer A Singh

Share
Published by
Sudheer A Singh

Recent Posts

ढल गई जवानी जिस्म के सौदे में ! अब क्या होगा बूढ़ापे का !

वेश्याओं के रेड लाइट इलाके में हर रोज़ सजती है जिस्मफरोशी की मंडी. इस मंडी…

6 years ago

पेट्रीसिया नारायण ! 50 पैसे रोजाना से 2 लाख रुपये रोजाना का सफ़र!

संघर्ष करनेवालों की कभी हार नहीं होती है. जो अपने जीवन में संघर्षों से मुंह…

6 years ago

माता रानी के दर्शन का फल तभी मिलेगा, जब करेंगे भैरवनाथ के दर्शन !

वैष्णों देवी माता का मंदिर कटरा से करीब 14 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है.…

6 years ago

एक गरीब ब्राह्मण भोजन चुराता हुआ पकड़ा गया और फिर वो कैसे बन गए धन के देवता कुबेर देव!

धन-दौलत की चाह रखनेवाले हमेशा धन की देवी लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करते हैं. माता लक्ष्मी…

6 years ago

रमज़ान में खुले हैं जन्नत के दरवाज़े ! होगी हर दुआ कबूल !

साल के बारह महीनों में रमज़ान का महीना मुसलमानों के लिए बेहद खास होता है.…

6 years ago

चिता की राख से आरती करने पर खुश होते हैं उज्जैन के राजा ‘महाकाल’

उज्जैन के क्षिप्रा नदी के पूर्वी किनारे पर बसा है उज्जैन के राजा महाकालेश्वर का…

6 years ago