राजनीति

महिलाओं के लिए भारत क्या सबसे खतरनाक है और बाकी देश का क्या

महिला के खिलाफ अपराध – महिलाओं के लिए भारत दुनिया का सबसे खतरनाक और असुरक्षित देश मन जा रहा है.

ग्लोबल एक्सपर्ट्स के थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन द्वारा सर्वे में भारत पहला नंबर पर है जहां महिला के खिलाफ अपराध और जबरन शादी करवाए जाता है.

थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन के सर्वे के मुताबिक अफगानिस्तान और सीरिया भारत के बाद दूसरे और तीसरे नंबर पर हैं. इसके बाद सोमालिया और सऊदी अरब का नंबर आता है. छठे नंबर पर है पाकिस्तान वही अमेरिका 10वें नंबर पर. इस सर्वे में अलग -अलग देश के 550 महिला से बात करने के बाद पूरी रिपोर्ट तैयार की गयी थी. इस सर्वे में करीब 193 देश को शामिल किया था. 2011 में जब पिछली बार यह सर्वे हुआ था तो भारत इस मामले में चौथे नंबर पर था.

सात साल बाद, 2018 का सर्वे बता रहा है कि महिला के खिलाफ अपराध की  वजह से – भारत इन तीन वजहों के चलते महिलाओं के लिए सबसे खतरनाक देश बन गया है. जैसे यौन हिंसा, सांस्कृतिक और धार्मिक कारण और घरेलू काम.

जनसंख्या की बात करें तो पुरुषों की संख्या यहां महिलाओं से तीन करोड़ 70 लाख ज़्यादा है. 27 फीसदी लड़कियों की शादी 18 साल की उम्र से पहले ही कर दी जाती है. ऐसे में आप सोच सकते है की आज भारत की हालत क्या है. 2018 में भारत में महिलाओं और नाबालिगों के खिलाफ यौन हिंसा के मामले अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियों  बटोर रही थी. जम्मू कश्मीर के कठुआ ज़िले में आठ साल की आसिफा और झारखंड में मानव तस्करी के खिलाफ अभियान चलाने वाली सामाजिक कार्यकर्ताओं के साथ बलात्कार की खबरें दुनिया भर में चर्चा का विषय बनीं.

आइए जानते है बाकि देशों का हल:

ईरान के कुछ विश्वविद्यालयों में महिला छात्रों को कुछ खास सब्जेक्ट पढ़ने से मन किया गया है. खासकर इंजीनियरिंग और टेक्नोलॉजी से संबंधित सब्जेक्ट.

इज़राइल में, एक महिला को तलाक लेने के लिए अपने पति की अनुमति की आवश्यकता होती है.

अमेरिका के मिसिसिपी में, एक रेपिस्ट, रेप से पैदा हुए बच्चे पर अपने अधिकार का दावा कर सकता है.

सऊदी अरब में बलात्कार को अपराध मानने या फिर उसके लिए सजा निर्धारित करने के लिए कोई लिखित कानून नहीं है. तो इसलिए अगर आप ऐसा समाज बना सकते हैं जहां कोई मामला ही दर्ज नहीं किया जा सकता है, तो फिर आप इस समाज में भी खुशी-खुशी रह सकते हैं कि यह बलात्कार कभी हुआ ही नहीं. ह्यूमन राइट्स वॉच ने अपनी जांच में पाया कि यहां पर अक्सर ही रेप पीड़िता को अपने खिलाफ हुए अपराध पर बोलने के लिए दंडित किया जाता है.

दिसंबर 2017 को इंडियास्पेंड की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि साल 2016 में महिलाओं के खिलाफ अपराध के प्रति घंटे 39 मामले दर्ज किए गए. साल 2007 में यह संख्या 21 थी. यहां तक कि सरकार भी उन कानूनों पर उचित कदम नहीं उठा सकी है जो महिलाओं के खिलाफ भेदभाव करते हैं.

इस बीच, दुनिया भर में महिलाओं को अपने लिए एक बेहतर दुनिया बनाने की कोशिश और लड़ाई को जारी रखना चाहिए.चाहे, कितनी भी मुश्किल क्यों न हो अपनी एक एक कदम आगे बढ़ाते रहना चाहिए.

Pratibha Singh

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