क्रिकेट विश्व कप – भारत में क्रिकेट को किसी धर्म की तरह पूजा जाता है।
इस लिहाज से क्रिकेट विश्व कप को इस धर्म का कुम्भ कहना गलत नहीं होगा। हर चार साल में आयोजित होने वाले क्रिकेट के इस सबसे बड़े टूर्नामेंट के लिए भारत में जो दीवानगी देखी जाती है, वह किसी भी अन्य अंतर्राष्ट्रीय टूर्नामेंट की तुलना में बेहद अधिक है।
भारत ने यह प्रतिष्ठित टूर्नामेंट सबसे पहले साल 1983 में अपने नाम किया था। लम्बे इंतज़ार के बाद साल 2011 में हम यह क्रिकेट विश्व कप खिताब दोबारा जीतने में सफल रहे।
विश्व कप के प्रति भारतीयों की दीवानगी तो आप बेहतर तरह से जानते हैं, लेकिन इसके इतिहास से जुड़े अधिकतर पहलुओं से लोग अनजान ही हैं। ऐसा ही एक पहलू आज हम आपके सामने लेकर आए हैं, आइए फिर बिना देर किए जानते हैं विस्तार से।
साल 1975 से हुई क्रिकेट विश्व कप की शुरुआत
पहला क्रिकेट वर्ल्ड कप साल 1975 में इंग्लैंड में खेला गया था। जिसमें वेस्ट इंडीज विश्व विजेता के तौर पर उभर कर सामने आई थी। क्रिकेट के मक्का कहे जाने वाले लॉर्ड्स के मैदान पर खेले गए फाइनल मुकाबले में वेस्ट इंडीज ने ऑस्ट्रेलिया को 17 रनों से हराकर पहला विश्व विजेता बनने का गौरव हासिल किया था।
इन टीमों के बीच हुआ था विश्व कप का पहला मुकाबला
क्रिकेट वर्ल्ड कप का पहला मुकाबला 7 जून 1975 को इंग्लैंड व भारत के बीच खेला गया था। इस मुकाबले में इंग्लैंड ने भारत को 202 रनों से करारी शिकस्त दी थी। उस समय एकदिवसीय मुकाबले 60 ओवरों के हुआ करते थे। इस मुकाबले में इंग्लैंड ने पहले बल्लेबाजी करते हुए निर्धारित 60 ओवरों में 4 विकेट खोकर 334 रनों का विशाल स्कोर खड़ा किया। जिसके जवाब में भारतीय खिलाड़ी निर्धारित ओवरों में महज 132 रन ही बना पाए थे।
मुंबई में जन्मे इस खिलाड़ी ने खेली थी विश्व कप की पहली गेंद
वेस्ट इंडीज़ ने भले ही यह विश्व कप अपने नाम कर लिया हो। लेकिन विश्व कप इतिहास की पहली गेंद खेलने का गौरव इंग्लिश टीम के सलामी बल्लेबाज जॉन जेम्सन के नाम दर्ज है। हालांकि जेम्सन इस टूर्नामेंट समेत अपने करियर में कोई भी अन्य बड़ी उपलब्धि हासिल नहीं कर पाए। लेकिन फिर भी इस एक गेंद की बदौलत उनका नाम विश्व क्रिकेट के इतिहास में हमेशा के लिए दर्ज हो गया।
आपको बता दें कि जॉन का जन्म साल 1941 में ब्रिटिश भारत के मुंबई में हुआ था।
कुछ ख़ास नहीं रहा अंतर्राष्ट्रीय करियर
जॉन जेम्सन अपने अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में कोई भी कमाल नहीं कर पाए। उन्होनें अपने पूरे अंतर्राष्ट्रीय करियर में केवल 3 वनडे एवं 4 टेस्ट मुकाबले खेले, जिनमें उनके नाम मात्र 274 रन दर्ज हैं।
फर्स्ट क्लास क्रिकेट में रहा है दमदार प्रदर्शन
जॉन भले ही अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में फ्लॉप रहे हों, लेकिन प्रथम श्रेणी क्रिकेट में उनका प्रदर्शन बेहद शानदार रहा है। 16 साल तक प्रथम श्रेणी क्रिकेट खेलने वाले जॉन ने इसमें 361 मुकाबले खेलते हुए कुल 18,941 रन बनाए। जिसमें उनके नाम 33 शतक व 90 अर्धशतक दर्ज हैं। अंतर्राष्ट्र्रीय मुकाबलों में उनकी असफलता के पीछे एक बड़ी वजह उनका दौड़ कर रन न ले पाना रहा। यह बात गौर करने वाली है कि जॉन अपनी पहली चार अंतर्राष्ट्र्रीय पारियों में 3 बार रन आउट होकर वापस लौटे। ऐसे में इंग्लैंड जैसी मजबूत टीम में उनका टिक पाना मुश्किल हो गया था।
ये है क्रिकेट विश्व कप – तो देखा आपने, अधिकतर लोग भले ही इस बात से अनजान हों लेकिन भारत का क्रिकेट इतिहास से काफी पुराना व महत्वपूर्ण नाता रहा है।
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