क्रिएटिव फील्ड – हमारी बातों से हमारे परिवेश और हमारी सोच का पता चलता हैI
ये होना स्वाभाविक भी है पर कई बार कुछ कहावतें इस तरह हमारी भाषा में शामिल हो जाती हैं कि हम उसे इस्तेमाल में लाने लग जाते हैंI इन कहावतों को बोलने से लोग हमें वैसे ही सोच का भी मानने लगते हैं क्योंकि हम जो बोलेंगे वैसा ही तो हमें माना जाता हैI
कुछ दिनों पहले मेरे एक दोस्त को एक बड़ी कॉमिक्स मैगज़ीन में स्केचिंग का कॉन्ट्रैक्ट मिला तो इसी बात को जब मैंने एक व्यक्ति को बताया तो वो भी मेरे दोस्त की कामयाबी पर बड़ा प्रसन्न हुआ पर फिर उसने मुझसे पूछा, ‘वो सब तो ठीक है पर वो करता क्या है?’ उस व्यक्ति की ये बात मुझे बड़ी अजीब लगीI
तो मैंने उससे कहा, ‘क्या स्केचिंग काम नहीं होता?’ मेरी इस बात का वो उत्तर नहीं दे पायाI
इसी के साथ आज इस बदली हुई दुनिया ने हायर एजुकेशन के सदियों के बनाए हुए फार्मुलों को भी बदल के रख दिया हैI
अब यूनिवर्सिटी में दाखिला लेने वाले ज्यादातार छात्रों की तलाश अब कुछ नए और अलग तरह के कोर्सेज में होने लगी हैI उन्हें अब लगने लगा है कि जो कुछ पढ़ने के लिए पहले से ही है उसके सहारे दुनिया में बहुत आगे नहीं बढ़ा जा सकताI ये सच है कि ऐसे छात्रों की सोच को पूरी तरह से सही नहीं माना जा सकताI लेकिन इनकी सोच के संदर्भों की जांच तो शुरू हो ही गई हैI ऐसे मुद्दे अब शिक्षाविदों एवं ज़रूरी संस्थाओं में उठने लगे हैंI इन चर्चाओं में भविष्य में किस तरह की पढ़ाई हो व आने वाली चुनौतियों का मुकाबला कैसे हो शामिल होने लगीं हैंI
ये तो तय है कि आने वाले दिनों में क्रिएटिव लोगों की ज़रूरत होगीI
ये बात तब और भी समझ में आती है जब आजकल हमें क्रिएटिव फील्ड से जुड़े लोगों की ख़बरें अधिक मिलने लग लगी हैंI वहीं, आज उनकी कृतियों का बाज़ार लगातार बढ़ता जा रहा हैI अकेले फाइन आर्ट्स की क्रिएटिव फील्ड की बात करें तो भारतीय बाज़ार में इसने काफी बढ़ोत्तरी कर ली है जो आज सबके सामने हैI आर्ट गैलरियों की बुकिंग से लेकर चित्रों के विषयों तक सबकुछ आज योजनाबद्ध तरीके से हो रहा हैI वहीं, इसके साथ ऑन डिमांड-ऑनलाइन भी होता दिखने लगा हैI बदलाव की यही चिंगारी आज क्रिएटिविटी की दूसरी विधाओं में भी देखने-सुनने को मिल रहीं हैंI फिर चाहे लिखने की बात हो या फिर मंच पर धाक जमाने की बात या स्क्रीन पर विजुअल इफेक्ट्स के चमत्कार दिखाई देनाI यानी आज इस क्रिएटिव फील्ड में नाम कमाने के ढेरों मौके हैं व बाज़ार को देखते हुए इनकी डिमांड भी बढ़ गई हैI
आर्ट, मीडिया, फिल्म, विज्ञापन या पब्लिशिंग जैसी इंडस्ट्री ऐसे लोगों के इंतज़ार में है जिनके पास नवीन सोच के साथ क्रिएटिविटी भी हो व जिनके पास हर वक़्त नए आइडियाज आते रहते होंI
वैसे देखा जाए तो आज भी स्थाई नौकरी के अलावा हमारे समाज की सोच आगे नहीं बढ़ पाई हैI फिर किसी और कार्य को मान्यता देने का सवाल ही पैदा नहीं होताI हम आज भी क्रिएटिव कार्य को पार्ट टाइम का ही दर्जा देते हैंI ऐसी सोच को एक दिन में नहीं बदला जा सकताI ऐसी सोच को बदलने में वक़्त लगता हैI देखा जाए तो आज रोज़ी-रोटी की समस्या ख़त्म होने के साथ इस सोच में कमी भी आ रही हैI वहीं, इस बात को नज़रंदाज़ नहीं किया जा सकता कि हमें क्रिएटिव कार्यों में संग्लग्न लोगों को भी पूरे सम्मान के साथ देखना चाहिएI आज के इस बदले हुए परिद्रश्य में इस मामले में हमें अपनी सोच को बदलने की ज़रूरत हैI