मैं बस कर स्वामी आज बड़े दिनों बाद आज फिर आपका स्वागत करता हूँ
वो क्या है न पिछले कुछ दिनों से शीना की जवानी…..
मेरा मतलब शीना की कहानी सुलझाने में लगे थे इसलिए समाचार बनाने…. ओह मतलब कि दिखाने का मौका ही नहीं मिला. लेकिन आज जो खबर मिली है उसके बाद बुलेटिन बनाने से खुद को रोक नहीं सके.
ये है आज की धमाकेदार क्रैकिंग न्यूज़ : बिहार में मोदी के सामने खड़ा होगा निराश केला
अब समाचार विस्तार से
खबर पढ़कर ही आप हिल गए होंगे.. और अपने दिमाग की सारी नसों पर जोर देकर सोच रहे होंगे की आखिर कौन है ये निराश केला और अगर केला निराश है तो वो नरेन्द्र मोदी को कैसे टक्कर देगा.
चलिए आपको ज्यादा नहीं उलझाते शीना बोरा हत्याकांड ने पहले ही आपके दिमाग की माँ बहन एक कर रखी होगी. वैसे दिमाग की क्या इन्द्राणी ने तो माँ बहन एक कर देना को कुछ ज्यादा ही सीरियसली ले लिया और सही में मां बहन एक कर दी.
ओह हम तो मुख्य खबर से भटकने ही लग गए. वो क्या है ना शीना इन्द्राणी का ना सिर्फ केस दिलचस्प है बल्कि वो दिखने में भी खूबसूरत है इसलिए बार बार उनकी ही बात करने और उनको ही दिखाने का दिल करता है. ये हाल हमारा ही नहीं देश के हर समाचार चैनल का है चाहे वो सबसे तेज़ हो या सबसे सच्चा वाला.
हमारे सबसे प्रसिद्ध पत्रकार तो शीना बोरा काण्ड की टी आर पी से इतना झल्ला गए कि उन्होंने ट्विटर से लेकर फेसबुक क्या हर गाँव और “कस्बे ” में अपना दुखड़ा रो दिया.
उनकी बात बाद में पहले बात करते है निराश केला की.
निराश केला नाम से कुछ गलत मत समझिये ये सिर्फ नाम का ही निराश केला है. असल में तो इन सबसे आशावान कोई नहीं आसाराम भी नहीं.
निराश केला के जन्म की कहानी
बहुत पहले की बात है
एक प्रगतिवादी मुख्यमंत्री और उसी राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री में तलवारें खिंची हुई थी. दोनों एक मौका नहीं छोड़ते थे एक दुसरे की छेचालेदार करने का.
प्रगतिवादी मुख्यमंत्री के एक खास दोस्त भी थे जो पहले NDA के अभिन्न अंग थे और उनकी तारीफ के कसीदे पढने से नहीं थकते थे.
इन सबके बीच एक मासूम बच्चा भी था जिसे जुपिटर का विज्ञान और छोटा भीम देखने से फुर्सत नहीं थी. आखिरी और सबसे महत्वपूर्ण किरदार जो थे उनकी तो बात ही अलग है दुनिया का हर बड़ा कलाकार उनसे नौटंकी और ड्रामा का प्रशिक्षण लेना चाहता है.
इन पाँचों मुख्य किरदारों में दो सबसे बड़ी समानताएं थी
पहली ये सब एक दुसरे से नफरत करते थे और एक दुसरे को हराने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते थे.
दूसरी ये कि ये सब के सब देश के प्रधानमंत्री बनना चाहते थे.
पर समय को शायद ये मंज़ूर नहीं था, इनमें से कोई प्रधानमंत्री बनना तो दूर इज्ज़त से हार भी नहीं सका.
इसलिए कुंठित होकर अपने राजनैतिक भविष्य को बनाने के लिए ये सब लोग एक हो गए और प्रधानमंत्री के सपने छोड़ बिहार का मुख्यमंत्री बनने के सपने देखने लगे.
निराश केला नामकरण
लोकसभा चुनाव में जैसे नमो और रागा उपनाम काफी प्रसिद्ध हुए उसी तर्ज पर इन पाँचों ने भी उपनाम रखने की सोची और जो उपनाम मिला वो था निराश केला
नहीं समझे?
चलिए आपको बताते है क्यों ऐसा उपनाम पड़ा? बहुत ही साधारण सा कारण है बस इन पांच नेताओं के नाम का पहला अक्षर मिलाओ और बन जाएगा निराश केला
नितीश कुमार
राहुल गाँधी
शरद यादव
केजरीवाल
लालू प्रसाद यादव
बोले तो “निराश केला”
तो ये थी वो खबर जो आपको कोई और नहीं बताएगा सिवाय क्रैकिंग न्यूज़ के.
तो इंतजार कीजिये बिहार चुनाव का और देखते है क्या निराश केला रोक पायेगा “नमो” का विजयरथ.
तब तक के लिए विदा.
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